Saturday, November 17, 2012

हम इनके मध्य हैं - - - - -


  • एक परमात्मा ......
  • अनेक देवता ........
  • एक माया ............
  • अनेक जीव .........
  • दो प्रकृतियाँ ........
  • ऊपर आकाश .....
  • नीचे एक काल्पनिक संसार , पाताल .....
  • सप्त सिंधु ......
  • सप्त ऋषि .....
  • सप्त दिन [ सप्ताह ] .....
  • नौ ग्रह .......
  • देव - दानव .....
  • सच - झूठ ......
  • अपना - पराया .....
  • सास - ससुर , पति - पत्नी , पुत्र - पुत्री , समाज 
  • समाज की जरूरतें और स्वयं की चाह 
  • स्वर्ग - नर्क का भय 

हमारे रहनें के आयाम तो अनेक हैं , हम उनमे कैसे रहते हैं , यह हमारे जीवन की दिशा को तय करता है 
जीवन वह है जो न अपनें लिए जीया जाए , न पराये  के लिए ,जीवन  चाह  रहित एक दरिया की धार जैसे बहते रहना चाहिए जहाँ किसी अवरोध की कोई फ़िक्र न रहे और धीरे - धीरे ऐसा जीवन जहाँ पहुँचता है उसी का नाम है.........
 परम धाम 
==== ओम् ======

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