Sunday, November 25, 2012

गुरु प्रसाद - 1


श्री ग्रन्थ साहिब जी परम ज्ञान सागर हैं जिसमें …
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  • दस गुरुओं के साधनाओं का फल है
  • सत्रह भक्तों की अनुभूतियों का रस है
  • पंद्रह परम भक्तों की वाणियों का सुर है
  • भाई मरदाना जैसे परम भक्त की धुनें है
  • 1जो चौदह सौ तीस पृष्ठों में फैला हुआ है
  • तीसरे गुरु श्री अमर दास की नौ सौ चौहत्तर वाणियों का संग्रह है
  • दूसरे गुरु श्री अंगदजी साहिब की तिरसठ वाणियों की गंगा प्रवाहित होती हैं
  • आखिरी गुरु श्री गोबिंद जी साहिब का निर्देशन है और भाई मणि सिंह की बुद्धि है जिनके द्वारा यह लिपिबद्ध हुआ
  • सन चौदह सौ से सत्रह सौ के मध्य के संतों फकीरों की वाणियों का संग्रह है
  • दस गुरुओं सत्तरह भक्तों एवं पन्द्रह परम सिद्धों की ऊर्जा है
  • ऐसे परम पवित्र को छोड़ कर आप और कहाँ और क्या खोज रहे हैं
  • एक ओंकार

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