श्री ग्रन्थ साहिब जी परम ज्ञान सागर हैं जिसमें …
- दस गुरुओं के साधनाओं का फल है
- सत्रह भक्तों की अनुभूतियों का रस है
- पंद्रह परम भक्तों की वाणियों का सुर है
- भाई मरदाना जैसे परम भक्त की धुनें है
- 1जो चौदह सौ तीस पृष्ठों में फैला हुआ है
- तीसरे गुरु श्री अमर दास की नौ सौ चौहत्तर वाणियों का संग्रह है
- दूसरे गुरु श्री अंगदजी साहिब की तिरसठ वाणियों की गंगा प्रवाहित होती हैं
- आखिरी गुरु श्री गोबिंद जी साहिब का निर्देशन है और भाई मणि सिंह की बुद्धि है जिनके द्वारा यह लिपिबद्ध हुआ
- सन चौदह सौ से सत्रह सौ के मध्य के संतों फकीरों की वाणियों का संग्रह है
- दस गुरुओं सत्तरह भक्तों एवं पन्द्रह परम सिद्धों की ऊर्जा है
- ऐसे परम पवित्र को छोड़ कर आप और कहाँ और क्या खोज रहे हैं
- एक ओंकार
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