- कौन क्या बोल रहा है , यह महत्वपूर्ण नहीं , आप क्या सुन रहे हैं , यह महत्वपूर्ण है
- बोलनें वाला कभी यह नहीं समझता कि सुननें वाला क्या सुन रहा है
- सुननें वाला कभी यह नहीं सोचता की बोलनें वाला क्या बोलना चाह रहा
- बुद्धि स्तर की समझ बहुत कमजोर समझ होती है
- ह्रदय की समझ , गहरी समझ है
- जिस से हमारा कोई खास मतलब होता है उसकी हर बात हमें स्वीकार होती है
- जिससे हमारा कोई मतलब नहीं उसकी बात को सुननें के हमारे कान और होते हैं
- प्रकृति अब सिकुड़ने लगी है और मनुष्य का अहंकार फ़ैल रहा है
- विज्ञान के आविष्कारों का प्रकृति को सिकोड़ने में हो रहे प्रयोग घातक हो सकते हैं
- विज्ञान संदेह आधारित है और संदेह की रोशनी में सत्य को देखना संभव नहीं
- संदेह जब श्रद्धा में बदलता है तब उस ऊर्जा से सत्य दिखता है
विज्ञान का केन्द्र मन - बुद्धि हैं और ज्ञान का केन्द्र है ह्रदय
निर्विकार मन - बुद्धि का सीधा सम्बन्ध ह्रदय से होता है
ह्रदय में चेतना की ऊर्जा तब प्रभावी होती है जब मन - बुद्धि निर्विकार हो जाते हैं
हमेशा औरों के सम्बन्ध में ही क्यों सोचते रहते हो कभीं अपनें बाते में भी सोचा करो
- आज औरों के ऊपर कफ़न डाल रहे हो एक दिन और तुम पर कफन डालेंगे
==== ओम् ======
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