Saturday, January 19, 2013

संसार में आना एक अवसर है , उसे यों ही न जानें दें

कबतक और क्यों किसी की उंगली पकड़ कर चलते रहोगे ?
कबतक और क्यों स्वयं से दूर भागते रहोगे ?
कबतक और क्यों स्वयं को भी धोखा देते रहोगे ?
कबतक और क्यों दूसरों को सुनाते रहोगे ?
कबतक और क्यों अपनें कद को खीच - खीच कर लंबा दिखाते रहोगे ?
कबतक और क्यों अपनी असलियत को छिपा कर रखना चाहते हो ?
कबतक और क्यों स्वयं को सर्वोपरि दिखाते रहोगे ?
कबतक और क्यों स्वयं से भागते रहोगे ?


जीवन जो मिला है वह प्रभु का प्रसाद है .....
जीवन जो मिला है वह एक अवसर है ....
जीवन जो मिला हुआ है वह हर पल घट रहा है ....
जीवन जो मिला हुआ है वह मात्र आप का नहीं है .....
जीवन को गंगा धारा की तरह बहनें दो , वह स्वयं सागर से मिल जाएगा ...
जीवन को प्रश्न रहित बनाओ .....
..


और 

जीवन को प्रभु को समर्पित करो

और 

स्वयं को कर्ता नहीं द्रष्टा रूप में देखो ....

और 

तब जीवन का वह परम रस मिलेगा जिसकी  ही तलाश हमें आवागमन में बनाए   हुए है //


===== ओम् =======

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