Thursday, January 3, 2013

जीवन को देखो ----

जीवन जो मिला है उसे प्रभु का प्रसाद समझो
प्रभु के इस प्रसाद को ऐसे प्रयोग करो कि यह प्रभु तक पहुंचा सके
प्रभु के प्रसाद को न खीच - खीच कर लंबा करो न इसे सिकोड़ कर रखो
जीवन की पीछली तस्बीरों  को न तो भूलो और न ही  उनका गुलाम बनो
अपनें अगले कदम को जहाँ रखो उसे ठीक से समझो
जीवन में हर कदम एक मोड है , जहाँ से स्वर्ग - नर्क की राहे निकलती हैं
जीवन का हर पल प्रभु मय है , अगर कोई प्रभु समर्पित जीवन जी रहा हो , तो
प्रभु आप को सबकुछ तो दे दिया है , अब और की  मांग क्या उचित है ?
औरों को देख कर अपनें जीवन के रुख को न बदलो
संसार में सबका अपना - अपना जीवन है
संसार में सबके जीवन का अपना - अपना रंग है
संसार में सबके जीनें का अपना - अपना ढंग है
एक संसार प्रभु निर्मित है और उस में हम सब अपना - अपना संसार बनानें में लगे हैं
संसार में सबको एक निश्चित अवधि का जीवन मिला हुआ है ....
इस अवधि को कौन कैसे गुजारता है , यह सबकी अपनी -अपनी सोच है



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