1- क्या उसकी जो इसका भरण -पोषण करता है ?
2- क्या उसकी जो अपना बीज देकर इसे पैदा किया है ?
3- क्या उसकी जो इसे 09 माह अपनें गर्भमें रखी ?
4- क्या पत्नी/पतिकी जो इसका भोग करती/ करता है ?
5- क्या नाना / नानीकी जो इसकी मूल हैं ?
6- क्या उस अग्निकी जो इसे अंत में राख बना देती है ?
7- क्या उस धरतीकी जो इसके अस्तित्वको अपनें में मिला लेती है ?
8- क्या उस प्रकृतिकी जिसमें यह रहता है ?
9- क्या उस पशुकी जो इस आस में बैठा है कि कब मौका मिले और मैं उसे अपना भोजन बनाऊँ ?
10- क्या उस बंसजकी जो इससे हुआ है ?
<> जी नहीं ----
°° यह शरीर माया निर्मित एक संकेत है जो उसे दिखानेंकी कोशिशमें अस्तित्वको खो देता है , जो इसमें रहता है ।
°° यह शरीर एक माध्यम है , उस अब्यक्त अप्रमेय सनातन को समझननेंका जिससे यह है ।
°° यह एक ब्रिज है जो भोग -योगको सम्हालता है ।
°° यह भक्त है उसका जो इसमें रहता है और जब वह निकलता है इसके बाहर, तब यह अपना अस्तित्त्व खो देता है ।
~~~ ॐ ~~~
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