* सच्चाई से तुम भाग सकते हो लेकिन क्या तुम्हें पता है कि सच्चाई हमेशा तुमसे चिपकी रहती है , उसे अलग करना असंभव है ?
* सच्चाई से भागना एक भ्रम है यह भ्रम आप के जीवनको धीरे - धीरे पीता चला जाता है और अंततः आप आम की गुठली बन कर तन्हाई में शरण लेते हो।
* चाहे अपनें को जितना छिपा लो लेकिन लोगों को तुम्हारी असलियतका पता आज नहीं हो कल लग ही जाएगा ।
* लोग तुम्हारी असलियत जानते तो हैं पर तुम्हारे सामने अपनें को अनभिज्ञ सा दिखाते हैं और जब तुम वहाँ से चले जाते हो तब उनके चहरे देखनें लायक होते हैं ।
<>सच्चाई से भागो नहीं उसे समझो ।
<> सच्चाई से आँख से आँख मिलानें की उर्जा
पैदा करो ।
<> सच्चाई के सामनें खडा होनें की ताकत पैदा
करो।
<> जिस दिन सच्चाई के साथ रहनें लगोगे , लोग
धीरे - धीरे अपनीं नजरिया बदलनें लगेंगे और आप उनके प्यारे हो जाओगे ।
<> जीवन एक परम निर्मल सत्य है , उसकी निर्मलता आप के हांथों में है ।
~~ ॐ ~~
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