Friday, October 13, 2023

सांख्य दर्शन में कारण और कार्य तत्त्वों को समझो


सांख्य दर्शन में कारण और कार्य

सांख्य दर्शन में मूल प्रकृति और पुरुष संयोग से विकृत हुई प्रकृति से उत्पन्न 23 तत्त्वों से जड़ और चेतन की उत्पत्ति बताई गई हैं । इन 23 तत्त्वों में कुछ कारण तत्त्व है , कुछ कार्य तत्त्व हैं और कुछ कारण - कार्य तत्त्व हैं । पुरुष न कारण है और न ही कार्य । मूल प्रकृति (तीन गुणों की साम्यावस्था ) कारण है । पुरुष शुद्ध चेतन एवं निष्क्रिय है और प्रकृति अचेतन , जड़ और निष्क्रिय है।

सांख्य दर्शन में कारण - कार्य को समझने के लिए एक साधारण उदाहरण लेते हैं । एक मिट्टी का घड़ा बनाने वाला मिट्टी से घड़े का निर्माण करता है । इस प्रकार घड़ा निर्माण में तीन तत्त्वों की भूमिका है ; मिट्टी , घड़ा और घड़े का निर्माता अर्थात कुम्हार। यहां इस उदाहरण में  मिट्टी सांख्य की भाषा में घड़े का उपादान कारण है ,  घड़ा बनाने वाला कुम्हार घड़े का निमित्त कारण है और घड़ा मिट्टी का कार्य है ।

 इस उदाहरण से यह स्पष्ट हुआ कि सांख्य दर्शन में  कारण दो प्रकार के  हैं ; उपादान कारण और निमित्त कारण।

(ऊपर व्यक्त कारण - कार्य को निम्न स्लाइड के माध्यम से भी समझा जा सकता है ⤵️

सांख्य दर्शन में कारण और कार्य तत्त्व 

सांख्य दर्शन के 25 तत्त्वों में पुरुष , प्रकृति , बुद्धि , अहंकार ( सात्त्विक , राजस और तामस ) ,11 इंद्रियां , 05 तन्मात्र और 05 महाभूत हैं । सांख्य दर्शन की कारिका  : 3 और 22 के आधार पर बनाई गई एक स्लाइड नीचे डी जा रही है जिसमें सांख्य के 25 तत्त्वों को समझा जा सकता है लेकिन पहले कारिका : 3 और कारिका :22 को देखते हैं ⏬

सांख्य कारिका - 3

" पुरुष - प्रकाश के प्रभाव में अविकृति मूल प्रकृति से  07 कार्य - कारण ( बुद्धि , अहंकार , 05 तन्मात्र )  और 16 केवल कारण ( 11 इन्द्रियाँ + 05 महाभूत )  उत्पन्न होते हैं "

सांख्य कारिका - 22

💐 प्रकृति - पुरुष संयोग से महत् ( बुद्धि ) तत्त्व की उत्पत्ति है ।  महत् से अहँकार की , अहँकार से 11 इंद्रियों की और 05 तन्मात्रों की उत्पत्ति है और तन्मात्रों से पांच महाभूतों की उत्पत्ति है ।

प्रकृति और पुरुष को छोड़ शेष 23 तत्त्वों में 07 तत्त्व कारण और कार्य दोनों हैं  और शेष 16 तत्त्व केवल कार्य हैं ⬇️

ऊपर स्लाइड में दिखाए गए 25 तत्त्वों में पुरुष और मूल प्रकृति के एक में पहले बताया जा चुका है।पुरुष एवं प्रकृति संयोग से उत्पन्न महतत्त्व ( बुद्धि ) तत्त्व कारण और कार्य दोनों है । बुद्धि से उत्पन्न अहंकार ( सात्त्विक , राजस और तामस ) कारण और कार्य दोनों हैं । अहंकार से उत्पन्न 11 इंद्रियों केवल कार्य हैं और अहंकार से ही उत्पन्न 05 तन्मात्र कार्य और कारण दोनों हैं । तन्मात्रों से उत्पन्न 05 महाभूत तन्मात्रों के कार्य हैं । इस प्रकार मूल प्रकृति के विकृत होने से उत्पन्न 23 तत्त्वों में बुद्धि , अहंकार और पांच तन्मात्र अर्थात 07 तत्त्व कारण और कार्य दोनों हैं और 11 इंद्रियों तथा 05 महाभूत अर्थात 16 तत्त्व केवल कार्य हैं । जैसा पहले बताया जा चुका है कि प्रकृति कारण है और पुरुष न कारण है और न ही कार्य है ।

~~ ॐ ~~


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