Thursday, June 9, 2011


क्या हो रहा है?


हमें कब समझ आएगी?


सब अपनीं-अपनी मूछें पकड़ कर बैठे हैं,कहीं नीची न हो जाएँ,यह कोई बात है?


चाहे राजा हों या चाहे प्रजा हो या चाहे साधु समुदाय हो सब अहंकार में तनें हुए दिख रहे हैं,क्या यह हम सब का स्वभाव देश को आगे ले जा सकता है?


2100 BCE से आज तक का हमारा इतिहास यही कहता है … ..


हम लोग अपनों से हमेशा लड़ते रहे हैं और बाहरी इसका फ़ायदा उठा कर हमें गुलाम बना लेते हैं


और गुलामी मे हमारे बुद्धि जीवी किताम लिखते हैं , शास्त्रों का निर्माण करते हैं और लिखते हैं ,


राजा भगवान होता है /


अरे भाई!आखिर यह आपस की लड़ाई कब तक चलेगी?कोई तो कुछ ढीला हो?


अन्ना जी गाँधी को अपना आदर्श मानते हैं और भाषा तानाशाह की बोलते हैं /


योगी राज बाबा राम देव जी साहिब परसुराम का रूप धारण किये हैं,चाहते हैं पृथ्वी से


कांग्रेस को समाप्त करना और ऐसे को कुर्सी पर बिठाना जो उसके सामनें म्याऊ – म्याऊ बोलता


रहे और देश की बाग डोर उनके हाँथ में हो जिनके हाँथ में वैसे कभीं नहीं आनेवाली/


सरकार अपनी मूछ निचे नहीं होने देना चाहती /


आखिर ऐसे मोहाल में क्या होगा?


भारत में प्रजातंत्र है , क्यों नहीं बाबा राम देवजी एवं अन्नाजी जो बिल बनाते हैं उसे पार्लियामेंट


में पेश किया जाए और जनता के प्रतिनिधि की जो राय बनें वह किया जाए /


जैसा लोकपाल नन्ना जी चाहते हैं वह भारत का नादिर शाह न बन जाए,यह पूरी संभावना है/


पृथ्वी पर जबतक अमीरी शब्द होगा,गरीबी शब्द को मिटाया नहीं जा सकता


पृथ्वी पर जबतक मनुष्य है बेईमानी समाप्त नहीं हो सकती/


अरे भाई !


जनता जिसको बनाया है उसे पांच साल रहनें दो , अगर वह गलत होगा तो आगे उसका पत्ता साफ़ होगा ही , आप को क्यों जल्दी है ? कुछ चंद लोग सिविल सोसाइटी बना कर अपनें को आम लोगों से ऊँचा समझ रहें / उनको यह पता नहीं की तुम भी आम जनता के ही परिवार के हो अंग्रेज नहीं हो /


भारत पहले से ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य शूद्र तथा नाना प्रकार की शाखाओं मे बिभक्त हो चुका है और


आप लोग एक बिभाग – सिविल सोसाइटी वर्ग का निर्माण क्यों कर रहे हो / यदि तुम देश को स्वर्ग बनाना चाहते हो तो अपनें लोगों को एलेक्सन में क्यों नहीं उतारते ? क्यों दर लगता है कि कहीं आप कि पोल न खुल जाए / बाबा रामदेवजी और अन्नाजी को एक हो कर अपनी पार्टी बना


ही लेना चाहिए , क्योंकि जो दल हैं उनमें इन लोगों का गुजारा होना संभव नहीं दिखता //


=== ओम =====


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