Wednesday, June 15, 2011

परम हंस श्री रामकृष्ण जी

कहते हैं,

गुरू जी अपनें शिष्यों को प्रवचन करते-करते रसोई घर का एक दो चक्कर जरूर

लगा लिया करते थे और यदि माँ शारदा[परम हंस जी की पत्नी]कहीं मछली के पकौड़े

बना रही होती थी तो दो-एक पकौडों को उठा कर खाते हुए पुनः प्रवचन के लिए शिष्यों के

मध्य आ जाया करते थे//


एक बार माँ से रहा न गया बोल पड़ी,आप के पीठ पीछे तो सभीं पागल कहते ही हैं

लेकिन इस तरह प्रवचन करते जो भी देखेगा वह आप को आप के सामनें

भी पागल कह सकताहै//

परम हंस जी चुप हो गए और कुछ समय बाद बोले,शारदा यही एक पकड़ मुझे जानें

से रोक रखी है जिस दिन यह रस्सी भी खुल गयी तो समझना नाव चल पडी उस पार//

गुरू जी बोले,माँ एक दिन तुम भोजन ले कर आओगी और उस दिन मैं आप की ओर

पीठ कर लूंगा तो समझना अगले तीन दिनों के अंदर मुझे जाना होगा हमेशा

के लिए माँ के पास,माँ ति बुला रही है लेकिन अभी मेरा काम बाक़ी है//

कहते हैं,

माँ तो भूल गयी इस बात को लेकिन ऐसा ही हुआ,माँ भोजन ले कर आयी,

एक दिन और गुरू जी उनकी ओर पीठ कर लिए और ठीक तीसरे दिन देह छोड़ गए थे//


आप जानते हैं कि बाबा को भोजन से क्यों इतना लगाव था?

  • 52शक्ति पीठें हैं जिनमें से04को आदि शक्ति पीठ कहते हैं//

  • जगन्नाथ पुरी को पाद खंड कहते हैं पाद का अर्थ है पैर/

  • गोहाटी,कामाख्या को योनि खंड कहते हैं योनि अर्थात स्त्री की जनन इन्द्रिय/

  • बरहामपुर ओडिशा को स्तन खंड माना गया है/

और

  • मुख खंड है,दक्षिण कालिका,कोलकता,जहाँ परम हंसजी रहा करते थे//

परम हंस जी मूलतः तंत्र साधक थे और ऊपर जो बाते बतायी गयी है उनका

भी सम्बन्ध तंत्र साधना से ही है//


अब आप इस बिषय को अपनें ध्यान का बिषय बना सकते हैं//


=====ओम========


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