Tuesday, June 21, 2011

अज्ञान ज्ञान का द्वार है


ज्ञान कहाँ से पायें?

ज्ञान कहीं बिकता है?

ज्ञान का कोई बाग है?

क्या करें,कहाँ से ज्ञान पायें?


स्व में स्व को देखो ….

स्व में सब को देखो ….

पर में स्व को देखो …

सब में प्रभु की खुशबू को पहचानों

ऐसा करनें से ज्ञान क्या है?पता चल जाएगा//


गीता में प्रभु बार – बार अर्जुब को कहते हैं,अर्जुन!

तुम अपनें अज्ञान के द्वार को खुलनें दो …..

अज्ञान की ऊर्जा को बाहर निकलनें दो ….

और

जब तेरा मन – बुद्धि अज्ञान ऊर्जा से रिक्त हो जायेंगे तब तेरे को कुछ करना नहीं मात्र देखते रहना

है,देखते-देखते तेरी बुद्धि और मन ज्ञान में डूब जायेंगे और तब तू जो मैं कह रहा हूँ उसे

स्वतः समझ लोगे/

ज्ञान कहीं नहीं मिलता

ज्ञान तो साधना का फल है

जो

निर्विकार मन – बुद्धि में फलता है//


=====ओम=======


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