Saturday, June 4, 2011

आखिर कौन इसे आगे ले जा रहा है?


कोई कहता है ….

हजार – पांच सौ की नोटों को बंद करो

कोई कहता है … ..

मेडिकल , प्रायोगिकी का पठन – पाठन भारतीय भाषाओं में हो

कोई कहता है …...

बेईमानों को फासी की सजा मिलनी चाहिए

कोई कहता है …...

लोकपाल भारत में राम राज्य ला सकता है

यह है हमारा अपना रिशी-मुनियों का देश जो हजारों साल पहले

दुनिया को सत् की राह दिखाया करता था/

गीता में प्रभु कहते हैं ------

जब-जब धर्म की हानि होती है,अधर्म धर्म को ढकनें लगता है,स्सदु पुरुषों को असुर लोग जीना

कठिन का देते हैं तब – तब मैं निराकार से साकार में अवतरित होता हूँ/

अब वक्त बदल गया है , श्री कृष्ण एवं श्री राम को अवतरित होनें की कोई जरुरत नहीं क्योंकि

अब के ऋषियों को अपनी सुरक्षा करना आता है //

कार्ल मार्क्स बोले …..

गरीबो तुमको खोनें को क्या है लेकिन पाना चाहो तो सारी दुनिया है , बश एक हो जाओ /

गुजर गए लगभग सौ साल पर जहाँ जहाँ मार्क्स की बातें गायी गयी वहाँ से मानवता एवं लक्ष्मी

दोनों उनके हाँथ में आ गयी जो कुर्सी के अधिकारी थे और आम लोगों का पेट और खाली होता गया /

देश को कौन बदल सकता है ? कानून ? नहीं यदि क़ानून को बदलना होता तो हमारा संबिधान

संसार का सबसे अधिक वजनी संबिधान है पर इसका असर क्या पड़ा ?

भारत को जब श्री राम – श्री कृष्ण न बदल सके तो भूख हड़ताल बदल सकती है?


भारत में पग – पग पर अडचनें हैं,चलना कठिन है लेकिन फिरभी …..

वह कौन है जो देश को आगे खीचता चला जा रहा है?

और यही बात इस देश को अन्यों से भिन्न बनाती है//


=====ओम======




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