Tuesday, June 28, 2011

यहाँ ऐसा ही होता है-----

सत्तर साल के अन्न्नाजी हैं और अब आ कर उनको सर्वत्र भ्रष्टाचार दिख रहा है/

मनमोहन जी का प्रधान मंत्री होना लोगों को भाया नहीं,यहाँ हमेशा से ऐसा ही होता रहा है/

श्री लालबहादुर शास्त्री के बाद पहला हमारा प्रधान मंत्री ऐसा बना है जिसको संन्यासी कहना गलत न होगा/कबीरजी साहिब कहते हैं,मन न रंगाए रंगाए योगी कपड़ा;कपड़ों से योगी की पहचान नहीं होती,उसके कर्म से होती है/अपना पेट दिखा-दिखा कर करोड़ों धन कमानें के बाद भी लोग भूखे नज़र आते हैं,बड़ा दुःख होताहै;अरे भाई अपनें-अपनें काम से काम रखो,राजनीति में टांग फसानें से क्या होगा?

यह सब आखिर कौन करा रहा है?

चार सौ साल से भी अधिक समय के बाद हिंदुत्व में जान आयी और बाबरी मस्जिद को गिराया

गया,चार सौ साल की नीद के बाद हिदुओं की तीसरी आँख खुली,आखिर ऐसा क्यों हुआ?क्या अकबर के समय बाबा राम देवजी का स्वाभिमान न था?क्या उस समय अन्नाजी की सत्यता सो रही थी;मात्र कुछ साल बाद बाबर के अकबर गद्दी पर बैठे थे और सभी उनका जैकारा कर रहे थे किसी को रामलला का जन्म नहीं दिख रहा था/

तुलसीदास के राम चरित मानस की रचना उसी स्था से प्रारम्भ हुयी जहाँ बाबरी मस्जिद था लेकिन

तुलसी दस को रामलला का जन्म तो दिख रहा था पर जन्म स्थान नहीं दिखा,क्या कारण हो सकता है क्योंकि उस समय वह शक्तियां न थी जो आज हैं/अकबर को हिंदू लोग अपनी बेटी दे सकते थे लेकिन राम जन्म भूमि की बात नहीं कर सकते थे,आखित कारण क्या रहा होगा?

अकबर के दरबार में ऊँचे-ऊँचे स्थानों पर सभीं हिंदू थे लेकिन उनमें से किसी को रामलला का

जन्म स्थान नहीं दिखता था जबकि गाँव – गाँव में राम लीला हो रही थी और घर – घर में रामचरित मानस का पाठ हो रहा था/

वह कौनसी ताकत है जो भारत जब भी आगे कदम उठाता है तो उसके कदम को रोकनें का काम

करता है?यहाँ करों लोग आजादी से नहीं रहना चाहते?ऎसी कौन सी जगह है इस पृथ्वी पर जहाँ

भ्रष्टाचार न हो;जबतक इमानदारी की बात होती रहेगी बेईमानी का रहना ध्रुव सत्य है/

बेईमानी और इमानदारी साथ – साथ रहते हैं,गरीबी और अमीरी साथ साथ चलते हैं/

अरे भाई!क्यों अपनें-अपनें अहंकार की सींगो को तेल लगा रहे हो,देश के हित में,नौजवान

पीढ़ी के हक में और आनें वाली पीढ़ी के हक में शांति से आपस में मिल जुल कर रहो/

एक नहीं हर दस मील के अंतराल पर लोकपाल बैठा दो तबभी बेईमान रहेंगे ही/

आखिर लोकपाल स्वयं भी कबतक इमानदारी से रहेगा?और आज कौन इस लायक है?क्या क्रिकेट

के कोच की तरह लोकपाल भी बाहर से ले आना पडेगा?

प्रधान मंत्री कि कुर्सी जिसके नशीब में नहीं है उसे प्रधान मंत्री कोई नहीं बना सकता//

आज दुनियाँ बड़ी नाजुक दौर से गुजर रही है,सोच समझ कर रहो

नहीं तो गुलामी ज्यादा दूर नहीं,दरवाजे पर ही बैठी है//

कहीं आपस की लड़ाई में कुछ का कुछ न होजाए//


=====ओम=======




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