Sunday, November 6, 2011

हम क्यों सिकुड़े से रहते हैं

क्या हमें भर पेट भोजन नहीं मिल रहा?

क्या हमें तन ढकने को वस्त्र की कमी है?

क्या सर ढकने को झोपडा नही है?

क्या बेटा वैसा न बन सका जैसा हम चाहते थे?

क्या पत्नी आप के इशारे पर नहीं चलती?

क्या जहां रहते हैं उस बस्ती का मोहौल ठीक नहीं?

आखिर कोई तो कारण होगा कि हम सिकुड़े से क्यों रहते हैं?

सुबह – सुबह सूरज निकल रहा है,सभीं पशु-पंछी खुशी-खुशी अपनें अपनें काम पर जा रहे हैं और एक हम हैं घर के एक कोनें में या घर से कुछ दूरी पर एकांत में बैठ कर बीडी से अपना कलेजा फूँक रहे हैं,आखीर वह क्या कारण हैं कि जीवों का सम्राट होते हुए भी हम चोर की तरफ एकांत में बैठ कर बीडी फूक रहे हैं,ऎसी कौन सी बात है?

एक काम करना होगा यदि हमें / आपको इस मर्ज की दवा चाहिए तो / सुबह – सुबह उठते ही अपनें पास एक कोरा कागज़ का टुकड़ा और एक पेन रखनी होगी / कागज़ – पेन को अपनी जेब में हर पल रखे रहें जबतक रात्रि में सोनें न जा रहे हों तब तक / बारह घंटों में जब भी आप दुखी हों या क्रोध के शिकार बनें उस की वजह को कागज़ पर लिख लें / इस बारह घंटों में आप का कागज़ भर जाएगा और जब रात्रि में सोनें जाए तब इस कागज को स्थिर मन से पढ़ें , आप पायेंगे कि आप को दुःख तब आता है या क्रोध तब आता है

जब -----

आप के अहंकार पर कोई चोट मारा होता है …..

जब आप की कामना खंडित होती दिखती है ….

मिल गयी वह बूटी जो मेरे / आपके मर्ज की दवा है , क्या है वह बूटी ?

कामना एवं अहंकार की छाया में रहना बंद करो

और

चैन से रहो,सम्राट की तरह जैसा

परमात्मा बना कर भेजा है//


=====ओम्=======



1 comment:

Atul Shrivastava said...

बढिया प्रस्‍तुति।
आभार............