जो मिला हुआ है वह आज नहीं तो कल टल ही जायेगा
लेकिन ----
जो हमनें स्वयं ले रखा है उसका क्या होगा ?
जो गट्ठर हमारी पीठ पर रखा गया है वह तो समझो उतर ही रहा है
लेकिन -----
जो हमनें स्वयं रखा है उसका क्या होगा ?
हम चिंतित हैं क्यों ?
इसलिए नहीं कि हमारे पास वह नहीं जिसे हम चाहते हैं
लेकिन----
इस लिए कि वह उनके पास क्यों है ?
मनुष्य दूसरे की गलती पर स्वयं को ताडित करता है , क्यों ?
जैसे यदि कोई हमें गाली दे दे तो हमारा खून खौलनें लगता है , ऐसा क्यों ?
यदि वह गाली दे रहा है हम उसे ले क्यों रहे हैं ,
उसे यदि न लिया जाए तो वह वापिस जा कर उस ब्यक्ति के सीनें में चोट मारेगा
लेकिन----
हम ऐसा करनें का अभ्यास नहीं करते
==== ओम् =====
लेकिन ----
जो हमनें स्वयं ले रखा है उसका क्या होगा ?
जो गट्ठर हमारी पीठ पर रखा गया है वह तो समझो उतर ही रहा है
लेकिन -----
जो हमनें स्वयं रखा है उसका क्या होगा ?
हम चिंतित हैं क्यों ?
इसलिए नहीं कि हमारे पास वह नहीं जिसे हम चाहते हैं
लेकिन----
इस लिए कि वह उनके पास क्यों है ?
मनुष्य दूसरे की गलती पर स्वयं को ताडित करता है , क्यों ?
जैसे यदि कोई हमें गाली दे दे तो हमारा खून खौलनें लगता है , ऐसा क्यों ?
यदि वह गाली दे रहा है हम उसे ले क्यों रहे हैं ,
उसे यदि न लिया जाए तो वह वापिस जा कर उस ब्यक्ति के सीनें में चोट मारेगा
लेकिन----
हम ऐसा करनें का अभ्यास नहीं करते
==== ओम् =====
1 comment:
बहुत बढ़िया नीतिवाक्य ।
आभार आदरणीय ।।
खोता रविकर ढोयगा, कब तक अपना बोझ ।
अब उतार कर रख चला, पीठ कर रहा सोझ ।
पीठ कर रहा सोझ, खोज अब कोई दूजा ।
होती चिक चिक रोज, करूँ नहिं तेरी पूजा ।
काटेगा इंसान, जिन्दगी में जो बोता ।
कहते हैं विद्वान, मजे में जीता खोता ।।
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