क्या आप का पाचन - तंत्र कमजोर है ?
क्या आप कब्ज से परेसान हैं ?
क्या आप पेट - वायु से दुखी हैं ?
तो आप जो कर रहे हैं , उसे करते रहें लेकीन .....
उसके साथ इसे भी करें तो कोई हर्ज़ न होगा ॥
गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं -------
आमाशय में चार प्रकार के भोजनों को पचानें वाली ऊर्जा - वैश्वानर , मैं हूँ ॥
वैश्वानर ऊर्जा की सघनता प्राण - अपान वायुओं के अनुपात पर आधारित होता है ॥
यदि प्राण वायु और अपान वायु सम हैं अर्थात बराबर हैं
तब वैश्वानर ऊर्जा की सघनता बहुत अधिक रहती है ।
आप को क्या तकलीफ होगी , यदि आप .....
बस में बैठे हुए ....
रेल गाड़ी में सफ़र करते हुए .....
घर में बैठे हुए ......
दूकान पर बैठे हुए .....
जहां भी हो वही सही ......
केवल एक अभ्यास करते रहें ------
जो श्वास आप ले रहे हैं और जो श्वास छोड़ रहे हैं उन दोनों को बराबर - बराबर रखनें का
अभ्यास करते रहें ,
यह कैसे संभव होगा ?
यह इस प्रकार से संभव है .......
बैठे - बैठे आप अपनें दाहिनें हाँथ के अंगूठे से दाहिनें तरफ की नाक को दबा कर रखें और सामान्य
ढंग से बाएं नाक से श्वास लें और उसी तरफ से श्वास को बाहर भी उसी चाल से निकालें ।
फिर दाहिनें हाँथ के अंगूठे के बगल की उंगली से बायीं ओर की नाक को बंद करें .....
और दाहिनी नाक से ठीक वैसा ही करेंजैसे बायीं नाक से किये थे ॥
इस तरह का अभ्यास तीन फ़ायदा पहुंचाता है ------
[क] पाचन शक्ति मजबूत होती है .....
[ख] फेफड़ों में पानी भरनें की बीमारी सामान्य बीमारियों में से एक है लेकीन यह अभ्यास इस बीमारी से
बचाता है । ऐसे लोग जो धूम्रपान करते हैं उनको यह ध्यान अति उत्तम ध्यान है ।
[ग] गहरी श्वास का अभ्यास मष्तिष्क के अन्दर खून जमानें की बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है ।
यह बात मैं यों ही नहीं लिख रहा ;
अभी - अभी मेरे दिमाक का आपरेसन हुआ हैजो बीमारी बताई गयी है
उसका नाम है - SUB ACUTE SDH
और डाक्टर नोम बिलोंम जैसी गहरी श्वास लेनें की राय दी और इस काम के लिए
मुझे एक छोटा सा खिलौना जैसा यन्त्र भी दिया गया था ।
लगभग नौ माह आपरेसन के बाद अब मैं ठीक हूँ और नोम - बिलोंम कर रहा हूँ ॥
===== ॐ =====
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