Saturday, February 26, 2011

किसकी बातको ------

आज कौन ऐसा होगा जो परेशान न हो ?

आज सभी किसी न किसी उलझन में उलझे से दिख रहे हैं ,
आखिर बात क्या है ?
पति परेशान है की उसकी पत्नी उसकी कोई बात सुननें को तैयार नहीं ......
पिता परेशान हैं की ------
उनकी बात उनकी बेटी एवं बेटा सुननें को तैयार नहीं ......
अध्यापक परेशान हैं की उनकी बात उनके शिष्य सुननें को तैयार नहीं ....
और ----
पत्नी परेशान है की पतीजी महोदय उनकी हर बात में अपनी टांग लगा देते हैं ....
बेटा और बेटी परेशान है की उनकी बातों को कोई सुननें वाला नहीं .....
विद्यार्थी परेशां हैं की अध्यापक उनकी बातों को अनदेखी करते हैं .....
और -----
जनता परेशान है की सरकार उनके हितों को नहीं देखना चाहती ....
सरकार कहती हैं की मैं क्या करू जनता का सहयोग दिल से नहीं मिल रहा ....
और ----
इंसान खफा है की परमात्मा उसकी जरूरतों को पूरा नहीं करता
और पड़ोसियों की सुनता है ......
सब एक दुसरे को देख रहे हैं -----
लेकीन ......
क्या कभी ऐसा भी होगा की .....
लोग दूसरों को न देख कर स्वयं को देखना प्रारभ करेंगे ?
जिस दिन ऐसा हुआ -----
समझो सब की उलझनें समाप्त होती चली जायेंगी स्वतः ॥
लेकीन वह दिन आयेगा कब ?
वह दिन आयेगा ....
हमारी नौजवान पीढ़ी ले कर आही रही है , कुछ ऐसा समझो ॥

===== ॐ =====

1 comment:

निर्मला कपिला said...

सार्थक सन्देश। धन्यवाद।