Saturday, May 14, 2011

सब कुछ तो है लेकिन ….....

आज इंसान के पास क्या नहीं है?

लेकिन कल के इंसान से आज का इंसान ज्यादा परेशान है/

कल ठीक ठाक घर बहुत कम लोगों के पास हुआ करते थे पर आज

एक से अधिक घर सभीं सुविधाओं के साथ,लोगों के पास हैं लेकिन

उनका चेहरा ऐसे मुरझाया होता है जैसे डाल से अलग किया गया फूल हो/

एक अच्छा घर है …...

एक गाडी है …...

बच्चे पढ़े लिखे हैं और देश से बाहर रहते हैं ….

लाखों रुपये हर माह आते हैं …..

लेकिन जनाब का चेहरा ऐसे लटका रहता है जैसे पेड़ से टूटी डाल

लटक रही हो,आखिर ऐसा क्यों?

आइये सुनते हैं एक कथा------

बादशाह अपनें मंत्री से पूछा,मंत्रीजी मैं सम्राट हूँ लेकिन फिरभी इतना चिंतित

रहता हूँ और एक मेरा नाइ है रात भर ढोल बजा कर अपनें घर में गाना गाता रहता है,कैसे वह इतना खुस रह पाता है?मंत्रीजी बोले सरकार आप कहें तो उसकी खुशी को बिना कुछ दुःख दिए

उससे छीन लूं/बादशाह बोले,लेकिन यह कैसे संभव हो सकता है?मंत्रीजी बोले,

मैं आप को दिखाता हूँ/

नाइ को रोजाना एक असर्फी हजामत बनानें के लिए राज कोष से मिलती

थी और उस एक असर्फी में वे सब बहुत खुश थे/मंत्री एक राज99असर्फियों का एक थैला

उसके आँगन में गिरवा दिया/सुबह – सुबह वह थैला उसकी पत्नी को मिला और वह तो पागल सी हो गयी और अपने पति को उठाया और बोला,सुनते हो,जल्दी तैयार हो कर राज महल जाओ और

हजामत बना कर सीधे वापिस आना फिर एक बात बताउंगी,आप बहुत खुश होंगे/

इस तरह कई दिन गुजर गए,उसकी खुशियाँ समाप्त हो गयी थी,अब कोई गाना-बजाना

घर में नहीं चल रहा था/अब सब खाना भी खाना कम कर दिए थे क्यों कि पत्नी

बोली,जल्दी-जल्दी असर्फियों को इकठा करके महल खरीदना है/

यह निन्यानबे का चक्कर मनुष्य से उसका आज छीन लेता है/

देखना कहीं हम – आप भी तो उस नाइ की तरह निन्यानबे के चक्कर में

तो नहीं अपनें आज को भूल बैठे हैं?

====ओम=====


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