Saturday, October 29, 2011

समयातीत समय को कैसा समझता होगा


घडी की खोज भारत की नहीं


भारत किसी भी खोज में रूचि नहीं दिखाई


भारत मात्र एक की खोज करता रहा जो आज भी खोज का बिषय बना हुआ है


भारत जिसकी खोज कर रहा था आज पश्चिम भी उसकी खोजमें जुटा हुआ है


भारत उस परम की खोज में सब कुछ खो दिया


भारत सब कुछ खो कर भी खुश है लेकिन जिनके पास सबकुछ है वे ---- ?


वे भारत की ओर झांकते रहते हैं , आखिर क्यों ?


आज शायद ही कोई ऐसा मिले जिसके पास किसी न किसी रूप में घडी न हो


सभीं मोबाइल में घडी है


यदि कोई किसी ऐसे लोक से आये जहां के लोग घडी को जानते तो हों लेकिन अभीं देखा न हो तो यहाँ के लोगों का घडी के प्रति लगाव को देख कर उनको कैसा लगेगा?उनके दिमाक में कुछ ऎसी बात आयेगी कि देखते हैं यहाँ के लोगों को और यह भी देखते हैं की ये लोग कितनें समय के पावंद हैं?


अब आप सोचो----


आप कितनें समय के पावंद हैं ?


यहाँ के लोग समय के कितनें पावंद हैं ?


बस अड्डों पर, रेलवे स्टेसनों पर एवं एयर पोर्टों पर जगह – जगह घडीयाँ लटकती आप देख सकते हैं लेकिन वहाँ जो बस, रेलवे और वायुयान चलते हैं वे समय के कितनें पावंद हैं?




घडी की खोज करनेवाला किस मनोविज्ञान का रहा होगा ?


वह जिसका मन एवं बुद्धि पूर्ण रूप से अस्थिर रहा होगा , वह घडी का निर्माण किया होगा /


वह जिसको ब्लड – प्रेसर का मर्ज रहा होगा , वह घडी बनाया होगा /


वह जिसकी उम्र बहुत कम रही होगी वह घडी बनाया होगा /


घडी बनानें वाला कभीं भी स्थिर मन वाला नही हो सकता /


शिवपुरी बाबा महारानी विक्टोरिया के यहाँ इंग्लैंड में मेहमान थे,जार्ज बर्नार्ड शा भी उनसे मिलनें वहा आये थे/शिवपुरी बाबा एक घंटे बाद आये और लोग उनका अभिवादन किया/जार्ज बाबा से पहला प्रश्न पूछा,क्या कारण है की साधू-महात्मा समय के पावंद नहीं होते?बाबा बोले,हो सकता है,लेकिन इस बात को जो आप कह रहे हैं उसे वह समझता होगा जो समय का गुलाम होता होगा लेकिन वह जो समयातीत में रहता है उसे क्या पता कब रात हुयी और कब दिन हुआ?




=====ओम्=======




1 comment:

Atul Shrivastava said...

घडी क‍ी खोज से शुरू कर समय के महत्‍व और इसके दुरूपयोग पर बेहतर पोस्‍ट।