Tuesday, July 1, 2014

● क्या खोया ? - भाग - 1●

* बड़े प्यारे लोग थे पर उनको लोगों की नज़र लग गयी थी ।एक दिन लगभग 35 साल के बाद मुझे उनसे मिलना हुआ ,मैं हैरान हो गया ,उनको देख
कर ।
* थे तो गरीब ही लेकिन उनके बड़े भाई उनके लिए पिता तुल्य थे , उनको पढानें में कोई कसर न छोड़ी थी । उस जबानें में इंजीनियरिंग के स्नातक हुए जबकि दूर -दूर तक ऐसे लोग दुर्लभ हुआ करते थे।
* मैं उनको करीब से जानता हूँ लेकिन इधर बहुत दिनों से उनकी स्मृति कुछ धुधली सी जरुर हो गयी थी ।मैं उनको जानता हूँ तबसे जब वे केंद्र सरकार में कार्य रत थे ,जब वे विश्व विद्यालय में सहायक प्राध्यापक थे , जब वे किसी लिमिटेड कंपनी में सिनिअर ऑफिसर थे और जब वे विदेश यात्रा की थी लेकिन यह सब देखनें के बाद आज जब मैं उनसे मिला तो दंग रह गया ,उनको देख कर ।
* बाहर -बाहर से देखनें में उनका रंग तो बहुत लुभावनासा दिखता है पर वे अन्दर से अब एक कब्रिस्तान बन चुके हैं ,मुझे तो उनके साथ कुछ दिन रहनें से ऐसा ही दिखा ।
* दो बेटे हैं ,प्यारे हैं ,एक प्रथम पांच iit मेसे एक का विद्यार्थी रह चूका है और दूसरा देश के कुछ प्रमुख nit में से एक के शिक्षा लिया हुआ है । दोनों बेटो का कद अब इतना उचा हो चूका है की उनकी लम्बाई देखते बनती है । दोनों बेटे उनसे प्यार करते हैं लेकिन कुछ तो है जो उनको कब्रिस्तान बना रहा है। * आखिरी दिन आ गया , मैं उनसे बिदा होनें जा रहा था ,वे अन्दर घर में गए हुए थे , बोल गए थे कि जरा रुकना ,चले न जाना । मैं घर के बाहर उनके आनें का इन्तजार कर रहा था । वे आये , गले मिले ,और उनका गला भरा था ,अन्दर आंसू की धरा बह रही थी लेकिन बाहर बाहर से सामान्य दिख रहे थे ।
*जब मैं चलनें लगा ,मुझे कपडे में लिपटी कोई चीज दी और बोले , तुम तो उनसे बहुत प्यार करते थे पर हिम्मत न जुटा पाए ,उनके बारे में पूछनें को , इतना कह कर हस पड़े और बोले , अच्छे जा फिर मिलेंगे। * जब मैं कपडे को खोला तो दंग रह गया ,उस वस्तु को देख कर जो उस कपडे में लपेट के वे मुझे दिए
थे । वह फोटो थी ,उनकी पत्नी की ,उस समय की जब उनका बड़ा बेटा रहा होगा 2-3 साल का जो आज 35 साल का है ।
* वे मेरे कंधो पर अपना हाँथ रखे और धीरे से भरे हुए गले से बोले , अगर खुदा ने इजाजत दी और हम फिर कभीं मिले तो मैं इनके बारे में भी बताऊंगा , जो तुम पूछ न पाये । वे अब भी हैं ,न दूर हैं न नज़दीक लेकिन हैं , इतना कह कर आंसू पोछते हुए घर के अन्दर चले गए और दरवाजा बंद कर ली ।
* आप सोच सकते हैं कि मेरे पर क्या बीती होगी और उन पर क्या बीत रही थी ,यह तो आप समझ ही सकते है लेकिन इतना जरुर मैं कह सकता हूँ कि उनको लोगों की नज़र लग गयी थी ।। क्या खोया ? इस श्रृखला के अगले अंक में कुछ और दृष्यों को देखेंगे ।
* यह एक सत्य कहानी है *
~~ हरे हरे ~~

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