Wednesday, February 23, 2011

यज्ञोपवीतम

क्या है यह यज्ञोपवीतम ?

बनावट
यह कच्चे धागे से बनाया जाता है किसकी लम्बाई 96 चौवा होती है ।
चौवा क्या है ?
अपनें हाँथ की अंगूठे को छोड़ कर अन्य चार उँगलियों को हथेली की तरफ से एक बार देखें ।
अब एक धागा लें और इन चार उँगलियों के चारों ओर लपेटे , एक पूरा चक्कर एक चौवा कह लाता है ।
यज्ञोपावितं जिस धागे से बनाया जाता है वह एक धागा, बाहर से दिखता है
लेकीन उसमें 96 चौवों के तीन धागे होते हैं जिनको मिला कर एक धागा बनाया जाता है ।
इस छानबे चौवों के धागे को पुनः तीन भागों में इस तरह से बाटते हैं की यह कहीं से टूटनें न पाए ।
यज्ञोपावितं बनानें का एक अपना ही ढंग होता है जिसमें तीन अंक प्रमुख होता है ।
यज्ञोपावितं को जब गलें में डालते हैं तब उसकी लम्बाई इतनी होती है
की खडा होनें पर इसका नीचला भाग नाभी को स्पर्श करता है
और यह तब संभव होगा जब धारण करनें वाला स्वयं अपनें
यज्ञोपावितं को अपनी उँगलियों की माप से बनाया हो ।
यज्ञोपवीतम कंधे में ह्रदय को छूता हुआ दाहिनी तरफ को जाता है , इसको पहनें में कुछ बातें
समझनें लायक हैं :-----
** यज्ञोपवीतम की गांठे सदैव ऊपर कंधे पर होनी चाहिए ।
** मल - मूत्र के समय इसे अपनें दाहिनें कान पर रखना चाहिए ।
यज्ञोपवीतं धारण करनें वाले को प्रति दिन गायत्री मंत्र के साथ
सुबह स्नान करने के बाद इसे पवित्र
करते रहना चाहिए ।
यज्ञोपवीतं शरीर में प्रवाहित ऊर्जा को संतुलित करता है और .....
ऊर्जा में विकार तत्वों के आनें को रोकता है ॥

===== ओम =======

1 comment:

Patali-The-Village said...

यज्ञोपवीत के बारे में जानकारी हेतु धन्यवाद|