चन्दन साधना का एक टूल है
चन्दन के ऊपर आप पहले दो अंक देख चुके हैं अब आज आप को चन्दन साधना का एक टूल
[ tool ] है , इस बात पर चर्चा करते हैं |
मूलाधार.काम,नाभि,ह्रदय,कंठ,तीसरी आंख[ललाट का मध्य भाग]और
सहस्त्रार[जहां हिंदू लोग चोटी रखते हैं]ये सात चक्र हैं जिनके माध्यम से आत्मा[देही]
देह से जुड़ा होता हैऔर --------------------
गीता कहता है …................
आत्मा को देह में तीन गुण रोक कर रखते हैं और … ................
परम् हंस रामकृष्ण जी कहते हैं-----------------
गुनातीत[मयामुक्त]योगी तीन सप्ताह से अधिक समय तक अपनें देह में नहीं रह सकता|
यहाँ चक्रों को हम इस लिए देख रहे हैं कि------
चक्र साधना सबसे पुरानी साधना है और इसका रहस्य चन्दन प्रयोग रहस्य से मिलता भी है|
मूलाधार से सहस्त्रार के मध्य काम,नाभि दो चक्र महान और मजबूत साधना के अवरोध हैं जो
मूला धार की ऊर्जा को ऊपर उठनें नहीं देते|
मूलाधार की ऊर्जा को ही कुण्डलिनी कहते हैं जो ऊर्जा का मूल श्रोत है[निर्विकार ऊर्जा का] |
अब आप उन स्थानों को देखें जहां चन्दन लगाया जाता है और चक्रों की स्थितियों को देखो,क्या इनमें आप को कोई समानता दिखती है?
एक बात याद रखना----------------
आज कुण्डलिनी जागरण के नाम पर लोग बहुत से ध्यान सिखा रहे हैं लेकिन याद रखना---------
काम,कामना,क्रोध,लोभ,मोह,भय,आलस्य और अहंकार कुण्डलिनी जागरण के शत्रु हैं|
कुण्डलिनी स्वयं जाग्रति हो उठती है जब हम गुण – तत्त्वों की ग्रेविटी से बाहर निकलते हैं|
आज आप मूलाधार चक्र को देखें और रीढ़ की हड्डी के निचले कमर के साथ के भाग को देखें जहां चन्दन लगाया जाता है|चन्दन एक ऐसा एजेंट है जो चक्रों की ऊर्जा को गति देता है और
ऊर्जा को निर्विकार भी बनाता है|
अगले अंक में कुछ और बातें देखनें को मिलेंगी
============ओम================
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