Monday, April 18, 2011

दिया आज भी जल रही थी


घोर जंगल में दरिया उस पार एक इतना छोटा झोपडा कि जिसमें मुश्किल से एल ब्यक्ति गुजारा कर सकता था रह – रह कर मेरे ध्यान को अपनी ओर खीच रहा था


मैं आदिबासी इलाके में अपनें प्राचीन भारत की स्मृति ताजी करनें के इरादे से उस इलाके में गया हुआ था



मैं अपनें नाविक से पूछा , क्या आप मुझे उस झोपड़े तक ले जा सकते हैं ? जो मांगेगे , मैं आप को दूंगा अभी मेरी बात पूरी भी न हो पायी थी कि नाविक झट से बोल पड़ा , नहीं साहिब , मैं तो वहाँ दरिया उस पार नहीं जा सकता नाविक की आवाज में कुछ सम्मोहन सा था , वह डर रहा सा लग रहा था , मैं उस से पूछा , भाई ! बात क्या है , मैं तो इस इलाके के लिए नया हूँ , यदि कोई बात हो तो मुझे बता दो ? नाविक बोला , साहिब ! वहाँ उस झोपड़े में एक बाबा रहता है जो रात को इंशान रूप में झोपड़े में रहता है और सूरज छिपते ही जानवर बन कर शिकार करता है


मैं क्या बस्ती का कोई भी ब्यक्ति उधर नहीं जा सकता , वह न जानें कितनों को खा चुका है और जो वहाँ पहुंचा वह वापिस न् आ सका



मेरी जिज्ञासा और बढनें लगी और मैं सोच बैठा कि चाहे जो कुछ भी क्यों न घटित हो लेकिन मैं वहाँ जाउंगा गा जरुर मैं किसी तरह उस नाविक को तैयार किया और पहुंचा दरिया उस पार ------



दरिया के उस पार , उस झोपड़े को देखनें से ऐसा लग रहा था कि यहाँ काफी दिनों से कोई इंसान नही आया होगा मैं हिम्मत करके झोपड़े के अंदर गया , वहाँ एक इंसान का कंकाल पड़ा था जो


अबतक मम्मी बन चुका था झोपड़े के अंदर एक अधूरी पत्थर पर बनायी जा रही मूर्ति पडी थी , जिस पर लिखा था ,


प आओगे जरुर एक दिन लेकिन तबतक शायद मैं न रह सकूं


यह देख कर ताज्जुब हो रहा था कि झोपड़े में एक दिया आज भी जल रहा था



बाहर जब हम निकले , आगे एक इंसान , बुढा इंशान खडा था , हम सब को देख रहा था मैं उनसे पूछा , बाबा ! यहाँ कौन रहता था ? और आज भी इसके अंदर एक दिया जल रहा है , कौन जलाया होगा ?


बाबा बोले , बेटा इस राज को कोई नहीं जानता लेकिन यहाँ कुछ रात गए कोई आता जरुर है जो दिया जला कर लुप्त हो जाता है , यह एक राज है और राज ही रहेगा



कौन था वह बाबा?कौन रहता था उस झोपड़े में?


किसका इंतजार था उसे?और वह किसके इन्तजार में वहाँ उस झोपड़े में रहता था?मैं गया तो था जिज्ञासा बश लेकिन जब आया तो ऐसा लगनें लगा


जैसे मैं एक दम खाली हो चुका हूँ



====== ओम =======



1 comment:

http://anusamvedna.blogspot.com said...

यह आपके भ्रम के सिवा कुछ नहीं है... मानसिक विकृति भी हो सकती है...