Thursday, January 13, 2011

हनुमान चालीसा




हमारे घर के पास एक सप्ताह से हनुमान चालीसा का लगातार पाठ चल रहा है ।
मैं इस समय खाली हूँ , मेरे ब्रेन का दो बार ओपरेसन हो चुका है , प्रभु के प्रसाद रूप में मुझे नया जीवन मिला है और अब मैं बैठ कर अपनें पिछले जीवन के पृष्ठों को देखता रहता हूँ । मैं आज ही खिडकी के पास बैठ कर सोच रहा था की ------
तुलसी दास जी हनुमान चालीसा की रचना किस तरह की होगी ........
क्या उनको भी कभी भय से गुजरना पडा होगा ....
तुलसी दास जी यह भी कहते हैं की ......
बिनु भय होय न प्रीति ----
और गीता कहता है [ श्लोक -2.52 ] की .....
भय के साथ वैराग्य का होना संभव नहीं , तो फिर क्या .....
तुलसी दास जी बिना बैरागी बनें राम चरित मानस की रचना की होगी ?
मैं भी सोच रहा हूँ , यहाँ खिडकी के पास बैठ कर
और
आप भी सोचो की ......
जब हनुमान चालीसा न था तब क्या -----
लोग डरते न थे ?
या
कोई और औजार रहा होगा हनुमान चालीसा की तरह , भय मिटानें का ?
कहते हैं .....
प्यार ही परमात्मा है , तो फिर क्या ....
प्यार में भी भय होता है , क्योंकि ....
बिनु भय होय न प्रीति .... ?
गीता में भय तामस गुण का एक मजबूत तत्त्व है और ....
तामस गुण में जो मरते हैं , उनको कीट - मकौडों की योनी मिलती है ।
फिर तुलसी दास जी की बातों को किस तरह से देखें ?

==== इस समय आप बुद्धि - योग में कदम रख रहे हैं =====

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