Sunday, January 23, 2011

कभीं सोचना -----

कौन है इनका .......
धर्म - गुरु
और
शिक्षक ?

संसार में मनुष्यों से अधिक अन्य जीव हैं जो एक कोशिकीय से हांथी तक के आकार के हैं लेकीन
मनुष्य समाज में क्यों इतनी हाय - तोबा - मची रहती है ? क्या कभी एकांत में बैठ कर हम सोचते भी हैं ?
जहां न कोई पाठशाला है .....
जहां न कोई हॉस्पिटल है ....
जहां न कोई जीनें की राह दिखानें वाला धर्म गुरु है ....
जहां न कोई गीता - उपनिषद् पर ब्लोक लिखनें वाला है .....
जहां न कोई विज्ञान है .....
जहां कोई आकाश की ओर देखनें वाला है ....
वहाँ ......
शान्ति ही शांति है लेकीन हम कहते हैं -----
जंगल राज्य ॥
जंगल राज्य - जंगल राज्य कर के प्रेस वाले लालू यादव - बिचारे लल्लू यादव को कुर्सी से उठा दिए
और उस जंगल में न कुछ होते हुए भी , सभी काम प्रकृति के नियम के अनुकूल चल रहे हैं ।
जंगल में भोजन और नियोजित काम के अलावा और कुछ नहीं दिखता
लेकीन मनुष्य के संसार में
सब के लिए विज्ञान के नियम हैं .....
जुखाम से लेकर कैंसर तक के नियम हैं .....
पैदल चलनें से ले कर आकाश में उद्नेंत्क के नियम हैं .....
बिद्यार्थी से उपकुलपति तक के लिए नियम हैं ....
राष्ट्रपति से गंगू तक के लिए नियम हैं और ....
नियमों से हटकर जो चलते हैं , उनके लिए .....
नीचे से सर्वोच्च न्यालय हैं , लेकीन क्या -----
यहाँ सब चीजें जंगल से ज्यादा ब्यवस्थित हैं ?

आप भी सोचना इन बातों पर
और मैं भी सोच रहा हूँ की
हम जंगली जीवों को
जानवर कहते हुए अपनी नाक को क्यों सिकोड़ते हैं ॥
वे बिचारे हमसे तो ठीक ही राह पर चलते हैं ॥

===== ॐ =====

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