Thursday, April 5, 2012

जीवन दर्शन 37

कितने दिन और अपने को अपने से दूर रखोगे?

कितने दिन और नफरत की आग में जलते रहोगे?

कितने दिन और चिंता की चिता में बैठे रहोगे?

कितने दिन और अहँकार की गुलामी में रहोगे?

कितने दिन और काम के सम्मोहन में उलझे रहोगे?

कितने दिन और मोह का रस चखते रहोगे?

कितने दिन और लोभ के काँटों की सेज पर सोते रहोगे?

कितने दिन और असत् से मित्रता रखना चाहोगे?

कितने दिन और रात को दिन समझ कर भागते रहोगे?

कितने दिन और राम को धोखा देते रहोगे?


====== ओम्=======



1 comment:

रविकर said...

सुन्दर प्रस्तुति ।

बधाई ।