Friday, September 24, 2010
बसुधैव कुटुम्बकम
भारत के ऋषि इस बात को हजारों वर्ष पूर्व में कहा होगा जब यह भी पता न था की पृथ्वी घुमती भी है ।
इस परम सत्य की उद्घोषणा के बाद क्या हुआ ?
भारत गुलामी में फसता चला गया और आज हालत ऎसी आ चुकी है की हमारा खून भी गुलामी के रंग में
रंग चुका है ।
भारत जब भी गुलाम हुआ है यातो गुजरात - राजस्थान की ओर से हमलावर आये या बंगाल की ओर से । अब कुछ बातें जो सोचनें लायक हैं :----
[क] अलेक्स्जेंदर महान जब भारत आया तो उसके साथ कितनें लोग थे , उसकी विजय क्या हमारे
लोगों के कारण नहीं हुई ?
[ख] हुड जब आये तो वे कितनें थे ?
[ग] मुग़ल जब भारत आये तो उनको पनाह किसनें दिया ? अकबर का जन्म भारत के किस राजा के किले में
हुआ ?
[घ] ब्रिटिश जब भारत आये तो उनको किस राजा नें पैर रखनें दिया , और क्यों ?
हम भारतीय आपस में लड़नें की अच्छी कला जानते हैं लेकीन बाहरी लोगों के सामनें भीगी बिल्ली क्यों
बन जाते हैं ?
इधर कामन वेल्थ गेम का जोर है ; कामन वेल्थ गेम अंग्रेजों के दिमाक की उपज है जो यह
याद दिलाता है की तुम सब गुलाम थे और कुछ नहीं । आज भारत के गावों में पीनें का पानी नहीं है ,
शिक्षा का कोई साधन नहीं है , जो है भी वह न के बराबर है , इन कामों के लिए पैसा नहीं है लेकीन
कामन वेल्थ गेम के लिए पैसे की कोई कमी नहीं ।
उत्तर प्रदेश टूटनें के बाद भी आज कितना बड़ा राज्य है । पूर्वी भाग में काशी विश्वविद्यालय का
प्रायोगिकी बिभाग पिछले तीस वर्षों से IIT ,s के लिए प्राध्यापकों को पैदा करता रहा है लेकीन स्वयं
IIT न बन पाया , जब की आधे से अधिक IITs से इसका स्तर उंचा है , यह है राजनीत का चक्कर ।
न उत्तरा खंड बनता न रूडकी प्रायोगिकी संस्थान बनता ।
बसुधैव कुटुम्बकम की आवाज बुलंद करनें वाले देश के अपनें राज्य एक दूसरे को
दुश्मन समझते है , है न गंभीर समीकरण ?
उम्मीद है नौजवानों से शायद वे ऋषियों की वाणी को अपनें देश में प्रयोग करें ।
===== ओम =======
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यह भी एक रंग है
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