बाबू ! यह संसार है , यहाँ सब कुछ मिलता है ........
यहाँ ऐसा कोई न होगा जिसके कोई अरमान न हों , बिना अरमान का क्या कोई जीवन है ?
यहाँ कोई गणेशजी की पूर्ति बना कर अपना अरमान पूरा करना चाहता है ,
यहाँ कोई दारु बना कर अपनें अरमान पुरे करना चाहता है ।
यहाँ कोई किसी को अपना खून दे कर अपना अरमान पूरा करता है तो ...
कोई किसी का खून पी कर अपना अरमान पूरा करता है ॥
यहाँ कोई किसी की किडनी चुरा कर अपना अरमान पूरा करना चाहता है ,
कोई अपनी किडनी दे कर अपना अरमान पूरा करता है ,
क्या क्या देखोगे , यहाँ .....
यहाँ सब कुछ देखनें को है लेकीन दिखता वही है जो मन देखना चाहता है ॥
अरमान तो अरमान ही होता है और अरमान का अर्थ है ......
वह जो हमें तो समाप्त करदे लेकीन स्वयं बना रहे ,
बुद्ध कहते हैं ......
कामना दुस्पुर होती हैं अर्थात कामना वह जो कभी समाप्त न हो ।
अरमान जब मनोरंजन का साधन सा दिखे तो समझना मार्ग सही है और .....
अरमान जब माथे के पसीनें को सूखनें न दे तो समझना , मार्ग नरक की ओर जा रहा है ॥
अरमान एक तरफ प्रभु की ओर जाता है और ....
दूसरी ओर नरक की ओर , आप को कहाँ जाना है ?
==== जय हो =======
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