Wednesday, September 29, 2010
और क्या देखा ?
बुद्ध अपनें भिक्षुकों को दीक्षा पूर्व छ: माह ले लिए मरघट पर भेजते थे .......
रात और दिन भिक्षुक को मरघट पर ही रहना होता था ...........
आखिर वह भिक्षुक वहाँ क्या अनुभव करता रहा होगा ?
मरघट एक ऎसी जगह है जहां एक दिन सब को जाना ही होता है चाहे वह .......
राजा हो
रंक हो
अमीर हो
गरीब हो ॥
जबतक तन में प्राण है , कौन मरघट पर अपना झोपड़ा डालना चाहता है ?
जीवन का प्रारम्भ चाहे महल से हुआ हो या पगडंडी से हुआ हो .......
जीवन का प्रारंभ चाहे पांच सितारा होटल की पार्टी से हुआ हो , या
भिक्षा में मिले जूठे भोजन से हुआ हो ----
सब को एक दिन मरघट पर अपनी यात्रा समाप्त करनी ही पड़ती है ॥
मौत एक परम कम्युनिस्ट है जिसकी निगाह में सब एक हैं ,
चाहे वे .....
राजा हों -----
भिखारी हों ----
प्रधान मंत्री रहें हों .....
या चोर रहे हों ॥
मौत एक परम सत्य है
लेकीन ------
कोई इस की चर्चा करना नहीं चाहता , आखिर इस से इतनी नफरत क्यों ?
==== जानों =====
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यही सत्य है
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