Saturday, September 18, 2010
फिर कौन था ?
[क] जब पृथ्वी मानुष शून्य थी पर अन्य सभी थे , तब यह कैसी रही होगी ?
[ख] तब जो थे उनमें क्या परमात्मा नही झांकता रहा होगा ?
[ग] तब सच को झूठ और झूठ को सच कौन बनाता रहा होगा ?
[घ] तब जो था , वह क्या सैट न था , जिसको गीता कहता है ---
नासतो विद्यते भावों नाभावो विद्यते सतः
[च] तब सुख - दुःख का अनुभव कौन करता रहा होगा ?
पांच बांते उनके लिए जिनकी बुद्धि भोग में उलझ चुकी है और -----
उनके माथे पर आया पसीना कभी सूखता नहीं ॥
भोग में उलझी बुद्धि नरक का द्वार है और .....
प्रभु में स्थिर बुद्धि परम गति का मार्ग ॥
==== जय हो =====
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इसमें भी झांको
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