Wednesday, March 9, 2011

मनुष्य क्या - क्या नहीं कर रहा ?

 

कोई कुत्ता - प्रशिक्षण केंद्र चला रहा है ----

कोई अंतरिक्ष में एलियन को खोज रहा है -----

कोई नयी पृथ्वी को तलाश रहा है ------

कोई अमरत्व की दवा अंतरिक्ष में खोज रहा है ……

कोई सूर्य के अंत की प्रतीक्षा में बैठा है ……

कोई कह रहा है की ………

पृथ्वी से चाँद दूर होता जा रहा है ------

आज जहां भी आप जायेंगे जो भी समाचार देखेंगे सब में एक बात कामन होगी ----

ऎसी बातें मोटे - मोटे अक्षरों में लिखी मिलती है जिसको देखते ही भय की ऊर्जा

तन , मन एवं बुद्धि में भर जाती है //

मनुष्य स्वयं तो काप ही रहा है लेकिन सम्पूर्ण प्रकृति को भी कपानें में कोई कसरनहीं छोड़ना चाहता //

आज सभी भय के आलम में जी रहे हैं और …..

सबको भय के आलम में देखना चाहते हैं //

मनुष्य एक ऐसा जीव बना था जो अन्य जीवों के लिए भगवान सा रहे लेकिन आज

सभी जीव यदि किसी से पूर्ण रूपेण भयभीत हैं तो वह है – इन्शान //

इन्शान को परमात्मा का बोध हो सकता है लेकिन वह अपनें जानवर की प्रबृत्ति को छोड़ना नहीं चाहता //

एक वे भी थे जिनके मुख से निकलता था …….

बसुधैव कुटुम्बकम ….

और ----

एक आज के हम है

 

===== ओम ======

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