प्रभु को कैसे खोजें?
प्रभु को पाना संभव है ,
और इसके लिए दो रास्ते हैं ;
एक रास्ता है ---- कोई नर साधना से अपनें अंदर नारी को खोज ले ।
और दूसरा रास्ता है ---- कोई नारी अपने अंदर छिपे नर को साधना के माध्यम से
तलासे ॥
भारत अर्धनारीश्वर के रूप में शिव की आराधना कब से कर रहा है , कुछ कहना संभव नहीं
लेकीन प्राचीनतम खुदाइयों में जो मूर्तियाँ मिली हैं उनमें अर्धनारीश्वर की मूर्ती प्रमुख है ।
शिवलिंगम के रूप में शिव - साधना के प्रमाण सिंध घाटी की सभ्यता की खुदाइयों में मिले हैं
और यह कहा जा सकता है की किसी न किसी रूप में काम के माध्यम से परम सत्य की खोज
का मार्ग अति प्राचीनतम है ।
C. G. Jung बीसवीं शताब्दी के मध्य में बोले -----
हर नारी में नर होता है .....
और ----
हर नर में नारी होती है ॥
जब यह बात लोगों तक पहुंची तो वैज्ञानिक इस बात पर जुट गए की ......
क्या यह संभव है की -----
लिंग परिवर्तन किया जा सके ?
और आज कोई भी नर नारी बन सकता है और कोई भी नारी नर ॥
भारत अर्धनारीश्वर की पूजा में मस्त हैं , वह यह नहीं जाननें की कोशीश किया की -----
अर्धनारीश्वर तंत्र साधना का एक अंग है और मूलतः तंत्र काम - साधना का क्षेत्र है ।
सी जी जुंग भारतीय उपनिषद , गीता और वेदों में रमते थे और उनक संस्कृत भाषा का
बहुत अच्छा ज्ञान था ।
हमारे पुर्बज हमें जो दे गए हैं , चाहे वह शात्र हों या वेद उनकें हमें वह ज्ञान मिल सकते हैं
जो आज पश्चिम में प्रयोगशालाओं से निकल रहे हैं ॥
==== ओम ======
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