Thursday, March 3, 2011

सभी पूजते हैं , सुनता कोई नहीं

यहाँ सभी पूजक हैं -----
श्रोता कोई नहीं ॥

यहाँ साकार के पूजक सभी हैं ......
साकार रूप में जो प्रभु श्री कृष्ण बोले हैं ----
उसको सुननें वाले हैं भी ?
ऐसा कहना कठीन है ॥

प्रभु श्री कृष्ण साकार रूप में अर्जुन से कहते हैं ------
अर्जुन !
मनुष्य का मूल स्वभाव है , अध्यात्म
स्वभाव : अध्यात्मं उच्यते -- गीता -8.3

कौन इस बात को समझना चाहता है और .....
जिस दिन मनुष्य सभ्यता इस बात को समझेगी उसदिन .....
सत - युग का सूर्योदय होगा इस पृथ्वी पर ॥
लोग समझते हैं, पूजना अति आसान है लेकिन जो ऐसा समझ कर जी रहे उनके लिए
दिन है ही नहीं ।
पूजा में दो साकार मिलकर जहां पहुँचते हैं
वह होता है निराकार ॥
दो साकार क्या हैं ?
एक वह है जो पूजक है ....
और दूसरा साकार वह है ....
जिसकी पूजा की जा रही होती है ॥
जब ----
पूजा करनें वाला अपनें सामनें खडी मूर्ती में स्वयं को घुला देता है .....
जहां पूजा करनें वाला स्वयं के लिए नहीं रहता .....
वहाँ मूर्ती भी उसके लिए तिरोहित हो गयी होती है और .....
जो बच रहता है ....
वह होता है वही जो सदैव रहता है
अर्थात ....
निराकार परम अक्षरं ब्रह्मं ॥
कंप्यूटर विज्ञान में एक तेर्मिनोलोजी है शोर्ट - कट की और ....
मनुष्य
भोग से योग तक .....
काम से राम तक ....
अज्ञान से ज्ञान तक ...
जीवन के सभी मार्गों को शोर्ट - कट से तय करना चाहता है ,
और ----
प्रकृति में कोई शोर्ट - कट है नहीं ॥

पूजा करते - करते ....
कभी- कभी ....
मूर्ति क्या कुछ कहना चाहती है ....
उसे भी सुननें की कोशिश करते रहें ...
यदि ऎसी आदत बन गयी तो .....
प्रभु आप से ज्यादा दूर नहीं ॥

==== ओम ======

1 comment:

Patali-The-Village said...

भगवान को पाने के लिए शोर्ट कट का कोई काम नहीं है | धन्यवाद|