Thursday, March 17, 2011

बहरे और अंधे न बनो

जापान जहां सूर्य सबसे पहले आता है ------
आज वहाँ जो हो रहा है , वह विश्व - युद्ध में भी हुआ था , लेकीन एक फर्क है ;
उस समय अमेरिका वहाँ अर्ध - बिकसित एटम बम्ब डाला था और आज वही अमेरिका लोगों के ऊपर मलहम - पट्टी लगा रहा है ।
विश्व - युद्ध के ठीक पहले जर्मनी में वैज्ञानिकों की एक सभा हुयी थी जिसमें यह तय हो रहा था
की एटम बम्ब बनाया जाए या न बनाया जाए । ओपन हिमर उस समय के महान एटम वैज्ञानिक थे और उस सभा की अध्यक्षता भी वही कर रहे थे । कुछ लोग बनानें के हक में थे और कुछ बिरोध में । सभा कक्ष के बाहर जो चपरासी था उसे किसी अजनवी नें एक पत्र दिया और बोला - ले जा इसे ओपन हिमर साहब को दे आ । जब ओपन हिमर उस पत्र को देखा तो उनकी आँखे खुली की खुली राह गयी , उस पत्र में लिखा था ---- जो तुम लोग सोच रहे हो उसका परिना बहुत भयानक होगा , यह एटम - शक्ति पहले भी मानव सभ्यता को समाप्त कर चुकी है अतः होश में कोई निर्णय लेना । उस आदमी को खोजा गया लेकीन वह आदमी न मिला ।

जापान पर जब अमेरिका एटम बम्ब डाला उसके ठीक पहले अमेरिका में बैज्ञानिकों की सभा में पुनः उसी आदमी का एक पत्र पुनः ओपन हिमर को मिला जो उस समय एटामिक - शोध के चेयरमैन थे । पत्र में वही लिखा था जो पहले वाले पत्र में लिखा था । जो लिखनें वाला था उसका नाम था - फल्कानेगी और इस नाम का ब्यक्ति आज तक कहीं न दिखा , किसी को ।

पत्र में उस ब्यक्ति नें लिखा था ----मैं इस बात का गवाह हूँ जिसनें एटम बोम्ब से मानव सभ्यता को समाप्त होते देखा था , आप लोगों से मैं प्रार्थना करता हूँ की आप लोग सोच समझ कर आगे का कदम उठाना ।

द्वितीय बिश्व युद्ध में जब एटम बम्ब जापान पर डाला गया और लाखों लोग मौत के मुह में पहुँच गए
तब पुनः फल्कानेगी का पत्र ओपन हिमर को मिला और उस में लिखा था ----
अब देख लिया उस एटम बम्ब के परिणाम को , अभी भी वक्त है , ज़रा सोचो .....
वह आदमी तो अमेरिका को न मिल पाया लेकीन उस पत्र के जबाब में ओपन हिमर जी अपनें पद से
त्याग पत्र दे दिया और बोला -----इस जापान की तबाही का महा काल मैं हूँ ॥

आज पुनः विज्ञान का काला जादू अपना रंग दिखाया है और इसकी जिम्मेदारी वैज्ञानिकों की नहीं है ,
संसार की सरकारों की है ।
कहते हैं ---बिना न्यूक्लियर ऊर्जा , हम ऊपर नहीं उठ सकते , जरूरतों को नियंत्रित रखना तो अपनें हाँथ में नहीं और अहंकार किसी को कहीं रुकनें नहीं दे रहा ,
फिर ऐसे में तो वही होगा जो जापान में हुआ आज और कल होगा जैतापुर , भारत में

या कहीं और होगा और एक बात याद रखना ------
यहाँ सब कुछ रहेगा मात्र जीव , जंतु एवं बनस्पतियां न राह पाएंगी कारण .....
मनुष्य का अहंकार नंबर एक बननें का ॥

==== ॐ =====

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