Wednesday, March 23, 2011

प्रभु की अनुभूति कैसे हो




प्रभु की अनुभूति कैसे हो?


पहले बताया गया की-------

साधना एक खोज है जिसमें साधक[स्त्री या पुरुष]कुछ खोजता है;जो यह समझते हैं की मै

अमुक को खोज रहा हूँ , वे साधक नहीं हैं वे गुण प्रभावित जिज्ञासु हैं , उनका प्रभु से जुड़ना

भी भोग आधारित ही होता है ; ऐसे लोगों का जीवन भोग - केंद्र के चारों ओर चक्कर

लगाता रहता है और ये लोग प्रभु को भी भोग का एक माध्यम समझते हैं ।

एक बात ध्यान में रखनी होगी की ….....

गीता का प्रभु न तो कुछ देता है और न ही कुछ लेता है------

गीता का प्रभु न तो किसी के पाप कर्मों को ग्रहण करता है न ही पुण्य कर्मों को ।

गीता का प्रभु न तो भावों में है और न ही मन – बुद्धि तक सिमित है ।

गीता का प्रभु उसके साथ है जो …...

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रभु के फैलाव रूप में देखता है और सभी सूचनाएं उसकी ओर इशारा

कर रही हैं - कुछ ऐसा समझता है ।

अर्ध नारीश्वर की मूर्ती के सामनें आप बैठे ; यदि स्त्री हैं तो उस तरफ बैठें

जिधर से शिव दीखते हो

और यदि पुरुष हैं तो उधर बैठें जिधर से पार्वती दिखती हों । साधना मात्रा भाव रहित होनें की

प्रक्रिया है इसके बाद जो होता है वह सब स्वतः घटित होता रहता है ।

इस ध्यान [साधना] में जब कोई साधक स्थिर मन – बुद्धि वाला हो जाता है , द्रष्टा हो जाता है,

तब उसके हार्मोन्स में बदलाव आजाता है , पुरुषत्व की ऊर्जा पुरुष में कम हो उठती है और

नारी में नारीत्व की ऊर्जा कम हो उठती है ; यह बात भावात्मक रूप में नहीं है

यह काम ऊर्जा की केमिस्ट्री है जो साधना में बदलती रहती है ।

कहते हैं परम हंस रामकृष्ण जी साधना के माध्यम से अपनें को पूर्ण रूपेण

स्त्री में बदल दिया था

उनके स्तन भारी हो गए थे और मासिक धर्म भी आनें लगा था यह सब साधनाओं में

नहीं होता मात्र उनमें होता है जिनका आधार तंत्र होता है ।

तंत्र – साधना बिना गुरु खतरनाक हो सकता है

अतः इसे बिना सिद्ध गुरु न अपनाएं तो उत्तम रहेगा ।



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5 comments:

सहज समाधि आश्रम said...

ब्लाग पर आना सार्थक हुआ । आपकी प्रस्तुति काबिलेतारीफ़ है । आपको दिल से बधाई ।

सहज समाधि आश्रम said...

आप अपने ब्लाग की सेटिंग में ( कमेंट ) शब्द पुष्टिकरण । word veryfication पर नो no पर टिक लगाकर सेटिंग को सेव कर दें । टिप्पणी देने में झन्झट होता है ।

सहज समाधि आश्रम said...

Recent Visitors और You might also like यानी linkwithin ये दो विजेट अपने ब्लाग पर लगाने के लिये इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल द्वारा "blogger problem " ब्लाग पर जाकर " आपके ब्लाग के लिये दो बेहद महत्वपूर्ण विजेट " लेख Monday, 7 March 2011 को प्रकाशित देखें । आने ब्लाग को सजाने के लिये अन्य कोई जानकारी । या कोई अन्य समस्या आपको है । तो "blogger problem " पर टिप्पणी द्वारा बतायें । धन्यवाद । happy bloging and happy blogger

Patali-The-Village said...

आपकी प्रस्तुति काबिलेतारीफ़ है| धन्यवाद|

Shalini kaushik said...

Rajeev ji ne aapke blog ka ullekh ''ye blog achchha laga ' par kiya hai .blog ka URL hai -''http://yeblogachchhalaga.blogspot.com''aapka lekhan bahut uchch star ka .bahut si nayee baten pata chali .badhai .