बच्चा जबतक हमारे इशारे पर चलता है , प्यारा लगता है
दो के बीच जितनी दूरी होती है सांसारिक मित्रता उतनी सघन सी दिखती है
मित्रता तबतक है तबतक दो में से एक दूसरे के पीछे चलता रहा है
कौन और कबतक कोई किसी के पीछे चलना चाहता है
आप का मौन आप को प्यार बना कर रखता है
कौन मौन रहना चाहता है और कबतक
आप तबतक प्यारे हैं जबतक हाँ में हैं मिलाते रहते हैं
उसका दर्शन मौन बना देता है
स्व की खोज मौन की खोज है
उसका दिखाना स्व को विसर्जित कर देता है
====ओम्=====
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