आखिर कबतक अपने को छुपाते रहोगे ?
आखिर कबतक जैसे हो वैसे बने रहोगे ?
आखिर कबतक अपनी करनी को ढकते रहोगे?
आखिर कबतक प्रभु को दोषी बनाते रहोगे?
आखिर कबतक स्वयं को परम पवित्र समझते रहोगे ?
आखिर कबतक सत् की ओर पीठ रखोगे ?
आखिर कबतक अपनों के मध्य दिवार खीचते रहोगे ?
आखिर कबतक जाति - धर्म के नाम पर अपनों को बाटते रहोगे ?
आखिर कबतक स्वयं को उलझाते रहोगे?
आखिर कबतक अपनी ऊँचाई को मापते रहोगे?
====ओम्=====
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