मृत्य एवं भय में क्या रिश्ता है ?
भय तामस गुण का एक तत्त्व है
तामस गुण का केंद्र मनुष्य के देह में नाभि है
भय – वैराज्ञ एक साथ एक बुद्धि में नहीं बसते
बिना वैराज्ञ संसार को समझना संभव नहीं
बिना संसार बोध हुए प्रभु से मिलना संभव नहीं
बिना वैराज्ञ भगवान मात्र एक संदेह है
ससार बोध में स्व – बोध भी सामिल है
संसार मनुष्य की परिधि है जहां भोग की चादर फैली हुयी है
मनुष्य का केन्द्र है आत्मा जिसके माध्यम से प्रभु दिखता है
आत्मा - परमात्मा का बोध निर्विकार मन से होता है
निर्विकार मन ही वैराज्ञ है
ससार माया की चादर है
आया प्रभु निर्मित है
माया केंद्रित ब्यक्ति मायापति को नहीं समझता
===== ओम्=====
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