गीता में प्रभु श्री कृष्ण कह रहे हैं-----
वैराज्ञ एवं मोह एक साथ एक मन – बुद्धि में नहीं रहते
वैराज्ञ बिना संसार का बोध होना संभव नहीं
संसार का बोध ही प्रकृति - पुरुष का बोध है
प्रकृति माया से माया में है
माया प्रभु निर्मित तीन गुणों का एक सीमा रहित सनातन माध्यम है
माया में आसक्त मायापति को नहीं समझता
माया मुक्त वह होता है जो गुणातीत हो
गुणातीत मात्र प्रभु हैं
मायामुक्त योगी तीन सप्ताह से अधिक समय तक देह को नहीं ढो सकता,यह बात
रामकृष्ण परमहंस जी कहते हैं
दो प्रकार की प्रकृतियाँ हैं;अपरा एवं परा
अपरा के आठ तत्त्व हैं ; पञ्च महाभूत , मन , बुद्धि एवं अहंकार और परा चेतना का नाम है
माया का गुलाम आसुरी प्रकृति वाला होता है
मायामुक्त होने पर योगी देवी प्रकृति वाला बनता है
=====ओम्=====
3 comments:
सुन्दर प्रस्तुति |
होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
बहुत सुन्दर! होली की शुभकामनायें!
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|
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