अष्टावक्र गीता में अध्याय - 1 श्लोक -1 वक्ता विदेह राजा जनक , संपूर्ण गीता का प्राण है अतः इस श्लोक की थीक - ठीक समझ , संपूर्ण गीता की समझ है ।
आज हम इस श्लोक के तीसरे भाग से परिचित हो रहे हैं । अगला अंक में अष्टावक्र गीता अध्याय - 1 श्लोक : 2 - 20 तक का सार दिया जाएगा जिसके वक्ता अष्टावक्र जी हैं ।
अगले 19 अष्टावक्र के श्लोकों को सुनते ही विदेह राजा जनक रूपांतरित ही जाते हैं । रूपांतरित का भाव है कि वे स्थिर प्रज्ञ गुणातीत हो उठते हैं क्योंकि अष्टावक्र गीता में अगले 19 अध्यायों में अष्टावक्र और विदेह राजा जनक के वचन पूर्णतया एक जैसे हैं और दोनों यह बताते हैं - मैं कौन हूँ ?
अब अष्टावक्र गीता श्लोक : 1 , भाग - 3 को देखते हैं ⬇️
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