Tuesday, May 18, 2021

आचार्य बंदी - अष्टावक्र शास्त्रार्थ का अगला भाग

 आचार्य बंदी वरुण देव के पुत्र हैं । विशेष कारण से अपना परिचय दिए बिना विदेह राजा जनक के दरबार में प्रधान आचार्य के रूप में आसीन हैं ।

एक 12 वर्षीय ऋषि पुत्र से शास्त्रार्थ कर रहे हैं । शात्रार्थ का यह तीसरा दिन चल रहा है । अभी कुछ दिनों में इस शास्त्रार्थ की समाप्ति होने वाली है । इस जे बाद अष्टावक्र गीता का मूल रूप प्रस्तुत किया जायेगा । यदि आप चाहें तो हमारे साथ इस यात्रा और यथावत बने रहें ।



No comments: