हम अष्टावक्र गीता की यात्रा और निकले हुए हैं और समय -समय पर जो -जो मोड़ आते हैं , वहाँ - वहाँ घडी - दो घडी रुकना ही पड़ता है क्योंकि अगर न रुकें तो अष्टावक्र गीता के पात्रों के प्रति श्रद्धायुक्त व्यवहार न होगा ।
आज हम देख रहे हैं कि अंततः युवा अष्टावक्र मिथिला नरेश विदेह राजा जनक के दरबार में पहुँच चुके हैं ।
आगे क्या होता है , अगले आने वाले अंकों में देखने को मिलेगा ।
ध्यान रखें कि 20 अध्ययब 293 श्लोकों वाले अष्टावक्र गीता का केंद्र आत्मा है और श्रीमद्भगवद्गीता में आत्मा से सम्बंधित 26 श्लोक हैं ।
।। ॐ ।।
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