जिसमें लोगों का अपना कद औरो से ऊंचा दिखता हो वह क्या है?
बेटा / बेटी डाक्टर की पढ़ायी की तैयारी में ब्यस्त है और पिता इस सोच में डूबा है कि वह कौन सी गाडी है जो अभीं तक किसी के पास आजू - बाजू में नहीं है , यह सोच किसकी ऊर्जा का परिणाम है ?
राम से सम्बन्ध सभी रखना चाहते हैं लेकिन गज भर दूरी भी रखते हैं,क्यों?
राम में बसों या राम को अपनें में बसाओ दोनों स्थितियां क्या हैं ?
लोग प्रभु को खोज रहे हैं,यह बात स्पष्ट दिखती है लेकिन कौन समझता है कि प्रभु भी किसी को खोज रहा है?
मनुष्य से उसका अहंकार छीन लो उसकी मौत हो जायेगी
बुद्ध पुरुष मनुष्य से उसका अहंकार छीनना चाहते हैं और मनुष्य उसे देना नहीं चाहता
मनुष्य के पास क्या है ; चाह है तो राह नहीं और राह है तो चाह नहीं , यह क्या है ?
भोग की उर्जा प्रभु मार्ग में रुकावट है लेकिन इस उर्जा के प्रति उठा होश सीधे प्रभु में पहुँचाया है
क्रोध में नहीं क्रोध से सत् की यात्रा संभव है
मोह में नहीं मोह से प्रभु दिख सकता है
==== ओम् =======
Monday, February 27, 2012
आइना
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2 comments:
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गीता की एक बूंद यदि कानों में समा सके तो हमें अपनें को धन्य समझना चाहिए
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