Wednesday, June 16, 2021

अष्टावक्र गीता सार अध्याय : 19

 ★ अष्टावक्र गीता का यह अध्याय : 19 मात्र 08 श्लोकों का है । नीचे दी गयी स्लाइड में आप देख सकते हैं कि विदेह राजा जनक अष्टावक्र से ज्ञान प्राप्ति पर अपनें गुरु का किस भाषा में धन्यवाद कर रहे हैं !

# पहली बात विदेह राजा जनक तत्त्व ज्ञान की करते हैं , आखिर यह तत्त्व ज्ञान क्या है ?

★ प्रकृति - पुरुष या माया - ब्रह्म के स्वरुप को ठीक उस तरह से अनुभव करना जो उनका मूल स्वरुप हैं , तत्त्व -ज्ञान कहलाता है। प्रकृति - पुरुष सांख्य और पतंजलि दर्शन का आधार है और माया - ब्रह्म वेदांत दर्शन का ।

#यहाँ विदेह राजा जनक जो - जो बातें कह रहे हैं उनका सम्बन्ध ऐसे योगी से है जो प्रकृतिलय और विदेहलय की अनुभूति में डूबा हो । साधना की इस स्थिति में ठहरा योगी शुध्द चेतन स्वरुप होता है जो संपूर्ण ब्रह्मांड और ब्रह्माण्ड की संपूर्ण सूचनाओं को ब्रह्म से ब्रह्म में देखता है

 ( वेदांत दर्शनके अनुसार ) 

अब देखते हैं स्लाइड को 👇


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