क्या करें ------
इन्द्रियों को वर्त्तमान में रस मिलता है और मन को गुजरे वक़्त की घटनाओं में ॥ आँखें खोजती हैं -- रूप - रंग को और कान खोजता है मधुर ध्वनि को ॥ जिह्वा खोजती है स्वाद को और नाक खोजती है सुगंध को ॥ त्वचा खोजता है संवेदना की लहर को और बुद्धि खोजती है , तर्क - वितर्क के बिषय को ॥ और ------जहां -----इन्द्रियाँ ......मन .......बुद्धि .....एक साथ बसते हैं , वह है -----परमात्मा का आयाम ॥ अब आप सोचो ......जब सभी अंग लग - अलग यात्रा पर हैं तो फिर अपना क्या होगा ?====== कुछ तो करना ही है =======
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