Saturday, December 4, 2010

कौन सुनता है - इनको ?



आज - कल पंजाब और हरियाणा में एक अच्छी परम्परा प्रारम्भ हो चुकी है ।
लगभग चार बजे के बाद , गली - मोहल्ले की मध्य उम्र की औरतें एक के घर इकट्ठी होती हैं ।
सभी औरतें चन्दा इकट्ठा करके कुछ बाद्य - यंत्रों को भी खरीद रखा होता है जैसे .......
ढोल
मजीरा
हारमोनियम आदि ।
आप यदि पंजाब या हरियाणा के रहनें वाले हों
तो कभी उनके भजनों को सुनना ।
हर स्त्री के हाँथ में एक कापी होगी और समय ज्योंही आता है ,
सारा काम छोड़ कर ऐसे भागती हुयी
निर्धारित स्थान पर पहुंचना चाहती हैं जैसे उनके पीठे कोई बंदूख ले कर चोर पडा हो ।
यदि अप उनमें से किसी को जानते हों और यह कह दें .......
भाभीजी किधर को जा रही हैं ?
फिर आप उनके आव - भाव को देखना ।
उनको देखनें से ऐसा लगेगा की जैसे वे साक्षात धर्म की साकार मूरत हों
जबकी वे क्या हैं सभी
गली के लोग समझतेहैं ।
इस काम के परदे के पीछे कौन होता है ?
इस कामों का सम्बन्ध धर्म से दूर - दूर तक नहीं होता ,
यह भी एक तरिका है राजनीति को फैलानें का ।
इस काम में अग्रणी होती हैं ऎसी औरतें जिनके पति देव ........
[क] रिटायर पुलिश वाले होते हैं .....
[ख] रिटायर प्रोफ़ेसर होते हैं .....
[ग] भारतीय संस्थान के रिटायर अफसर होते हैं , आदि ।
अब लोग खाली हैं , बिचारे क्या करे ?
सभी लोग तो गीता के ऊपर लिख नहीं सकते ।
ऐसे लोग अपनी श्रीमती जी को एक मोहरे के रूप में प्रयोग करतेहैं और एकाध साल में
किसी छोटे - मोटे चुनाव में खडा हो जाते हैं या .......
किसी बड़े इलेक्सन में पैसा कमानें का काम करते हैं , अच्छा है यह ब्यापार भी ।
भारत की बिचारी महिलायें जिनमें से अधिकाँश गौमा की तरह हैं और
अपनें पति को पूर्ण समर्पित
होती हैं जिसका पूरा फायदा उनके पति देव खूब जमा कर लेते हैं ।
यह बहुत पुरानी परम्परा है ......
धर्म की चादर आगे - आगे चलती है और
उसकी आड़ में राजनीति अपना दामन फैलाती है ।
मुसलमान राजा आये उनके आगे - आगे मौलबी लोग थे ......
अंगरेज आये लेकीन उनके आगे - आगे पादरी लोगों का काफिला रहता था .....
भारतीय समाज में तो राजा को नरेश कहते ही हैं ......
आप ज़रा सोचना -----
पहले राजा कौन बनता था ? ----
वह जो महान कुकर्मी होता था ....
जो महान डाकू होता था ......
जो लोगों के अन्दर दहसत फैला कर अपनी पूजा करवाता था और ....
ऐसे खूनी ब्यक्ति को पंडित लोग जिनको आम लोग प्रभु का प्रतिनिधी समझते थे ,
नरेश की
संज्ञा दे कर स्वयं की पीठ को थोक लिया होगा ॥
समाज में रहते हो तो .......
समाज के ढाचे को देखो .....
समाज के रंग को देखो .....
समाज की दिशा को देखो ....
और उस समाज में स्वयं की ......
स्थिति को भी देखते रहो ॥

==== यही तो एकचक्र है =====

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