Tuesday, December 21, 2010

कौन ठीक है ?



Aristotle और सुकरात जैसे महान रहस्य दर्शियों की सोच ........
Pythagorus जैसे गणित के विशेषज्ञ की सोच .......
और उनके घर की परेशानियां .......
सर आइजेक न्यूटन को विज्ञान एक बृक्ष के नीचे बैठे - बैठे मिल गया
और न्यूटन आधुनिक
विज्ञान के जनक बन गए ।

न्यूटन कहते हैं -----
ऊर्जा को न तो समाप्त किया जा सकता है .....
और न बनाया जा सकता है , हाँ इसको रुपानारित जरुर किया जा सकता है ॥
अब आया आधुनिक विज्ञान का जबाना - बीसवीं शताब्दी का प्रारम्भ जब महानतम वैज्ञानिक
इकट्ठे इस धरा पर तारों की भाँती अवतरित हुए और आज जिसमें हम हैं वह ,
वह है जो इन वैज्ञानिकों की सोच का फल है ।
क्वांटम विज्ञान कहता है ------
किसी भी सूचना को पूर्ण रूप से समाप्त नहीं किया जा सकता ,
वैज्ञानिक इस बात पर टिके रहे और
भारतीय मूल के वैज्ञानिक - चंद्रा को नोबल पुरष्कार न मिल सका
क्यों की चंद्रा कहते थे की समाप्त किया जा सकता है ।

यह तो बातें हैं - विज्ञान की
जो आज सत हैं और कल असत हो जानें वाली हैं ।
विज्ञान की सभी बातें कुछ सालों के बाद संशोधित करदी जाती हैं और सब लोग उसे मान भी जाते हैं ।

अब देखते हैं गीता की बात को
जो प्रभु श्री कृष्ण अर्जुन को बता रहे हैं --------
प्रभु कहते हैं .......
मैं सभी जीवों के ह्रदय में आत्मा रूप में बैठा हूँ और सबके आदि , मध्य और अंत का कारण हूँ ।
आत्मा न बढ़ता है ....
न घटता है .....
न जन्म लेता है ....
न मरता है ....
और
किसी भी तरह - भौतिक , रासायनिक एवं जैविक ढंग से
इसको रूपांतरित भी नहीं किया जा सकता ॥

ऊपर आप नें क्वांटम - विज्ञान और ऊर्जा - भौतिकी की
जो बातें देखी उनमे और इसमें क्या फर्क है ?
लेकीन
वैज्ञानिकों को आत्मा शब्द से एलर्जी सी है - ऐसा क्यों ?
आज के Particle Physicists जानेवा में बिग बैंग के नाम पर
क्या आत्मा की खोज में नहीं जुटे दिख रहे ?

===== आज इतना ही ====



1 comment:

श्याम जुनेजा said...

"वैज्ञानिकों को आत्मा शब्द से एलर्जी सी है " मुझे ऐसा नहीं लगता कम से कम आइंस्टीन को पढते हुए तो कभी ऐसा नहीं लगा ...