इच्छाधारी को समझो ....
चाहे वह ----
नेता हो
योगी हो
भोगी हो
सर्प हो .....
सभी बिषैले होते हैं ॥
आपकी रूचि यदि बायो टेक या बायो केमिस्ट्री में हो
तो आप इस बात को अपनें शोध का बिषय बना कर
नोबल पुरष्कार की तैयारी कर सकते हैं ॥
जितनी गहरी इच्छा ......
उतना गहरा क्रोध .....
जितना गहरा क्रोध .....
उतना ही गहरा जहर पैदा होता है ॥
मैक्स प्लांक को नोबल पुरष्कार मिला था
इस बात पर -------
एक लोहे की राड को आप आग में खूब तपाओ ,
ऐसा करनें से तप रहे भाग से चिंगारियां निकलनें लगती हैं ,
इन चिंगारियों की पकड़ प्लैंक को नोबल पुरष्कार दिला दी
और इसके बाद मानो विज्ञान का नया युग
प्रारम्भ को गया हो ॥
अब आप को मेरे जैसे मुर्ख की एक सलाह ------
क्रोध में भी चिंगारियां निकलती हैं जो बिष की बूंदों के रूप में कहीं इकट्ठा होती हैं ।
आप उस स्थान को पकड़ कर उन बूंदों की तीब्रता को मापनें का प्रयत्न करें ,
क्या पता , प्रभु प्रसाद रूप में आप को भी नोबल पुरष्कार से
सम्मानित किया जाए ॥
आज इतना ही
==== गीता के माध्यम से =====
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