Sunday, October 3, 2010

उनकी आवाज को


जिसनें भी उनकी आवाज सुनी ........
संसार के लिए उसकी अपनी आवाज बंद हो गयी .....
वह न कुछ बताना चाहता है ...........
वह न कुछ सुनना चाहता है ॥
जब जीवन तनहाई से भरा हो तो -----
मौत भी तन्हाई में आती है ॥
सुनना और बोलना सभी चाहते हैं लेकीन ......
मन - बुद्धि सुनना और बोलना एक साथ नहीं कर पाते .....
मन - बुद्धि एक साथ दो को नहीं पकड़ पाते और मनुष्य हमेशा दो में जीना चाहता है ......
मनुष्य का जीवन एक को छोडनें , दुसरे को पकडनें में सरकता चला जाता है .....
मनुष्य अपनी मुट्ठी कभी खोलना नहीं चाहता , क्यों की -----
उसे भ्रम हैं की ......
उसनें जो अपनें मुट्ठी में बंद कर रखा है , वह कहीं निकल न जाए ॥
मनुष्य छोड़ - पकड़ की इस गति में अपना जीवन सरकाता चला जाता है और .....
जब आखिरी दिन आजाता है
तब , वह ......
अकेले में अपनी बंद मुट्ठी खोल कर देखता है , की चलो देखतो लें की इसमें हमनें जीवन भर क्या भरा है ?
जब देखता है तब ------
मुट्ठी तो खाली दिखती है , और .........
आँखों से टपकते हैं - दो चार बूंदे ही - आशू के
और फिर हमेशा के लिए .....
आँखें बंद हो जाती हैं ॥
यहाँ किसी को कुछ नहीं मिलता , जो मिलता सा दिखता है , वह है मात्र एक भ्रम ॥
मनुष्य जब तक प्रभु से नहीं भरता , तब तक खालीपन से ही अतृप्त रहता है , और जो ....
प्रभु से भर गया , उसमें कुछ और को रखनें की .....
जगह ही कहाँ बचती है ?

====== अपनें को रिक्त करो =======

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