Sunday, October 17, 2010
ऐसा क्यों है ?
आज हम कुछ और सोचते हैं ,
आप मेरे साथ हैं , यह देख कर खुशी होती है ॥
[क] यूरोप , अमेरिका , जापान , चीन , भारत के सभी कुत्तों को अगर एक जगह इक्कठा
कर दिया जाए तो .......
* उनकी भाषा एक होगी , वहाँ ट्रांसलेटर की जरूरत नहीं पड़ती ।
* वहाँ मेनू की कोई समस्या नही आती ।
* वहां कोई ऎसी समस्या नहीं दिखती जहां पत्रकारों की भीड़ इक्कठी हो सके ।
लेकीन जब इन्शान इकट्ठे होते हैं तब क्या जो होता है , वह किसी से छिपा है ?
[ख] जो लोग अपनें घर , परिवार , समाज से भागे हुए हैं , जिनको अपनें राह का
नक्शा नहीं मालूम
वे ....
स्वर्ग - नरक का नक्शा बना कर उसका ब्यापार चला रहे हैं ,
यह ब्यापार
आज - कल खूब चल रहा है ।
[ग] जो लोग दूसरों की पीठ पर स्वयं लदे हुए हैं , कभी अपनी कमाई से
एक लुंगी तक नहीं खरीदा , वे
मल्टी नेसनल कंपनी के मालिक को ब्यापार - सूत्र दे रहे हैं , वह भी पांच सितारा होटल में ।
[घ] जो कभी गायत्री मंत्र का जाप नहीं किया , वे गायत्री का अर्थ लगा रहे हैं और
लोग वाह - वाह कर रहे हैं ।
गायत्री का जो अर्थ कर रहा है उसके बारे में मैं तो कुछ नहीं कहता लेकीन जो तालिया पीट रहे हैं , वे
महा मुर्ख जरूर हैं ।
गायत्री का कोई अर्थ नहीं है , यह एक मार्ग है जिस पर जो चलता है -------
* वह पहले अपने मन - बुद्धि के उस पार पहुंचता है .....
* फिर वह कब और कैसे अनंत में डूब जाता है , कुछ कहा नहीं जा सकता ।
[च] जिनका कोई बच्चा नहीं , कभी फीस भरनें की लाइन में खड़े नहीं हुए ,
जो कभी बीजली का बील भरनें के लिए
लाइन में खड़े नहीं हुए , जो दो रुपये का बैगन नही खरीदा , वे ........
जीनें की राह दिखा रहे हैं ॥
यहाँ जो नहीं है ,
इन्द्रियों की सीमा में ----
मन की सीमा में -------
बुद्धि की सीमा में -----
उसके ब्यापार पर कोई टैक्स नहीं है ,
जबकी मल्टी मिलियन डालर का ब्यापार चल रहा है ॥
वह जो सब के लिए एक सामान सब जगह हर पल मौजूद है , लोग ......
उसे भी बेच रहे हैं , है न कमाल की बात ॥
===== हमें पहले अपनें को देखना है , फिर ...... =========
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